मलयालम सिनेमा के दिग्गज अभिनेता मोहनलाल की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘L2: एम्पुरान’ जबसे रिलीज़ हुई है, तभी से यह विवादों में घिरी हुई है। फिल्म में 2002 के गोधरा दंगों को जिस तरह से दिखाया गया है, उससे हिंदू समुदाय में भारी आक्रोश है। कई लोगों का मानना है कि फिल्म में हिंदुओं को गलत और क्रूर दिखाया गया है, जिससे उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँची है।
फिल्म को लेकर विवाद क्यों उठा?
‘L2: एम्पुरान’, 2019 में आई ‘लूसिफर’ का दूसरा भाग है, जिसे पृथ्वीराज सुकुमारन ने डायरेक्ट किया है। फिल्म की शुरुआत गोधरा कांड के दृश्य से होती है, जहाँ एक मुस्लिम परिवार को हिंदू संगठनों द्वारा बेरहमी से मारा जाता दिखाया गया है। इसके अलावा, फिल्म में तत्कालीन गुजरात सरकार, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया है।
यह सीन देखकर हिंदू संगठनों और बीजेपी समर्थकों में गुस्सा फैल गया। सोशल मीडिया पर मोहनलाल और पृथ्वीराज सुकुमारन की कड़ी आलोचना की जाने लगी। कई लोगों ने इसे ‘हिंदू विरोधी’ और ‘लव जिहाद’ का समर्थन करने वाली फिल्म बताया, जबकि कुछ ने इसे हिंदू समुदाय को बदनाम करने की साजिश करार दिया।
मोहनलाल ने मांगी माफी, फिल्म से हटाए जाएंगे 17 सीन
इस विवाद को शांत करने के लिए मोहनलाल ने 30 मार्च 2025 को अपने फेसबुक पोस्ट में एक भावुक माफीनामा जारी किया। उन्होंने लिखा:
“मुझे पता चला कि ‘एम्पुरान’ में कुछ राजनीतिक और सामाजिक बातों ने मेरे चाहने वालों को बहुत दुख पहुँचाया। एक कलाकार के तौर पर मेरा फर्ज है कि मेरी कोई फिल्म किसी राजनीतिक आंदोलन, विचारधारा या धर्म के खिलाफ नफरत न फैलाए। इसलिए मैं और एम्पुरान की टीम अपने प्रियजनों को हुई तकलीफ के लिए दिल से माफी माँगते हैं। हमने फैसला किया है कि फिल्म से वो सारी चीजें हटा देंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 40 सालों से उनके प्रशंसक ही उनकी ताकत रहे हैं और उनके बिना वह कुछ भी नहीं हैं। विवाद बढ़ने के बाद फिल्म के प्रोडक्शन हाउस ने ऐलान किया कि ‘एम्पुरान’ से 17 विवादास्पद सीन हटाए जाएंगे। इनमें दंगों के सीन और महिलाओं के खिलाफ हिंसा दिखाने वाले हिस्से शामिल हैं।
बीजेपी युवा मोर्चा ने उठाए पृथ्वीराज सुकुमारन के ‘विदेशी कनेक्शन’ पर सवाल
फिल्म को लेकर बढ़ते विवाद के बीच बीजेपी की युवा शाखा ‘भारतीय जनता युवा मोर्चा’ (BJYM) के स्टेट जनरल सेक्रेटरी के. गणेश ने पृथ्वीराज सुकुमारन पर गंभीर आरोप लगाए।
उन्होंने कहा कि पृथ्वीराज के विदेशी संबंधों की जाँच होनी चाहिए, क्योंकि उनकी पिछली कुछ फिल्मों में भी भारत-विरोधी नैरेटिव को आगे बढ़ाने की कोशिश की गई थी।
गणेश ने आरोप लगाया कि:
- पृथ्वीराज की फिल्म ‘कुरुथी’ और ‘जन गण मन’ भी देश-विरोधी मानसिकता को दर्शाती हैं।
- जॉर्डन में फिल्म ‘आडुजीवितम’ की शूटिंग के दौरान उनके संदिग्ध संपर्कों की जाँच की जानी चाहिए।
- फिल्म इंडस्ट्री में ऐसे कई लोग हैं जो भारत की छवि को धूमिल करने की साजिश रच रहे हैं।
गोधरा दंगे – क्या फिल्म ने एकतरफा नैरेटिव दिखाया?
गोधरा दंगे 27 फरवरी 2002 को तब भड़के थे, जब साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में 59 हिंदू कारसेवकों को ज़िंदा जला दिया गया। यह हमला मुस्लिम भीड़ द्वारा किया गया था, जिससे पूरे गुजरात में हिंसा फैल गई थी।
फिल्म में यदि सिर्फ हिंदुओं को ही दोषी दिखाया गया और कारसेवकों की निर्मम हत्या को नजरअंदाज कर दिया गया, तो यह एक भ्रामक नैरेटिव हो सकता है। इसीलिए हिंदू संगठनों का आक्रोश स्वाभाविक है।
फिल्म इंडस्ट्री में इतिहास से छेड़छाड़ का ट्रेंड?
यह पहली बार नहीं है जब किसी फिल्म में इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया हो। बॉलीवुड और साउथ इंडस्ट्री में पहले भी कई बार ऐसी फिल्मों के जरिए राजनीतिक एजेंडा सेट करने की कोशिशें देखी गई हैं।
कुछ प्रमुख उदाहरण:
- ‘परजानिया’ (2005) – इस फिल्म में भी गोधरा दंगों को एकतरफा दिखाया गया था।
- ‘फिराक’ (2008) – इसमें हिंदू संगठनों को दोषी ठहराया गया था, लेकिन गोधरा ट्रेन कांड पर चर्चा नहीं की गई।
- ‘जन गण मन’ (2022) – इसमें भारतीय पुलिस और सरकार को मुस्लिम-विरोधी दिखाने की कोशिश की गई थी।
- ‘कुरुथी’ (2021) – इसमें हिंदू संगठनों को कट्टरपंथी के रूप में दर्शाया गया था।
क्या मोहनलाल की माफी विवाद को शांत करेगी?
मोहनलाल और फिल्म निर्माताओं द्वारा 17 सीन हटाने और माफी मांगने के बावजूद यह विवाद इतनी जल्दी खत्म नहीं होगा। हिंदू संगठनों और राजनीतिक दलों की मांग है कि फिल्म पर पूरी तरह से बैन लगाया जाए और पृथ्वीराज के विदेशी कनेक्शन की गंभीर जांच हो।
आपको क्या लगता है?
- क्या ‘एम्पुरान’ जैसी फिल्मों के जरिए इतिहास को तोड़-मरोड़कर दिखाने की प्रवृत्ति खतरनाक है?
- क्या हिंदू समुदाय की भावनाओं के साथ बार-बार खिलवाड़ किया जा रहा है?
- क्या सिनेमा को राजनीति और वैचारिक एजेंडा से दूर रखा जाना चाहिए?