उत्तर प्रदेश पुलिस का ‘ऑपरेशन एनकाउंटर’ और ‘ऑपरेशन लंगड़ा’ एक बार फिर चर्चा में है, क्योंकि बीते 24 घंटों में राज्य में 10 मुठभेड़ें हुई हैं, जिनमें कई वांछित अपराधियों को गिरफ्तार किया गया या घायल किया गया है। ये अभियान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उस नीति का हिस्सा हैं, जिसमें अपराध और अपराधियों के प्रति “जीरो टॉलरेंस” अपनाया जा रहा है।
24 घंटे, 10 एनकाउंटर – कहां-क्या हुआ?
शहर | घटना का विवरण |
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लखनऊ | रेप के आरोपी को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया गया। |
गाजियाबाद | सिपाही की हत्या का आरोपी मुठभेड़ में गोली लगने के बाद पकड़ा गया। |
शामली | ₹25,000 का इनामी गौ तस्कर घायल होकर गिरफ्तार। |
झांसी | इनामी बदमाश को गोली लगी, गिरफ्तारी हुई। |
बुलंदशहर | रेप के आरोपी का एनकाउंटर। |
बागपत | लूट के आरोपी को मुठभेड़ में पकड़ा गया। |
बलिया | फरार अपराधी को मुठभेड़ में गोली लगी। |
आगरा | चोरी के आरोपी का एनकाउंटर। |
जालौन | डकैती के आरोपी के साथ मुठभेड़। |
उन्नाव | हिस्ट्रीशीटर के साथ एनकाउंटर हुआ। |
क्या है “ऑपरेशन लंगड़ा”?
- यह गैर-सरकारी रूप से दिया गया नाम है उस रणनीति को, जिसमें पुलिस जानबूझकर भागते अपराधियों को पैरों में गोली मारती है, ताकि वे गंभीर रूप से घायल हो जाएं पर मारे न जाएं।
- उद्देश्य है कि अपराधी भविष्य में फिर अपराध न कर सके और उनमें पुलिस का खौफ कायम रहे।
- “लंगड़ा” शब्द का प्रयोग इसलिए होता है क्योंकि गोली आमतौर पर पैरों में मारी जाती है, जिससे अपराधी शारीरिक रूप से आंशिक रूप से अक्षम हो जाता है।
- इस अभियान के चलते कई अपराधी आत्मसमर्पण कर चुके हैं या अपराध से तौबा कर चुके हैं।
क्या यह कानूनी और नैतिक रूप से सही है?
- समर्थक कहते हैं कि यह “कड़े लेकिन जरूरी कदम” हैं, खासकर जब अपराध नियंत्रण की बात हो।
- आलोचक इसे “एक्स्ट्रा-जुडिशियल” (न्यायपालिका के बाहर की कार्रवाई) बताते हैं और मानते हैं कि यह मानवाधिकार उल्लंघन की श्रेणी में आ सकता है।
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने पूर्व में यूपी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं और एनकाउंटरों की न्यायिक जांच की सिफारिश की है।
सरकार का पक्ष
- सीएम योगी आदित्यनाथ और यूपी पुलिस का दावा है कि ये ऑपरेशन सिर्फ आत्मरक्षा और अपराध नियंत्रण के लिए हैं।
- उन्होंने बार-बार दोहराया है:
“अपराधी या तो जेल जाएंगे, या ऊपर (मरेंगे)।”
यूपी पुलिस का यह नया तेवर, चाहे उसकी आलोचना हो या सराहना, यह स्पष्ट है कि सरकार और पुलिस प्रशासन ने अपराधियों को खुली चुनौती दे दी है। लगातार हो रहे एनकाउंटर और ‘ऑपरेशन लंगड़ा’ की रणनीति से अपराधियों में भय और सामान्य जनता में भरोसा बढ़ा है। फिर भी, इस तरह की कार्रवाइयों की न्यायिक निगरानी और पारदर्शिता आवश्यक है, ताकि कानून के राज की मर्यादा बनी रहे।