केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी द्वारा कोणार्क में दिए गए भाषण में देश के कोयला क्षेत्र और खनिज उद्योग से संबंधित कई महत्वपूर्ण घोषणाएं और आंकड़े साझा किए गए हैं। यहां उनके संबोधन के मुख्य बिंदु दिए गए हैं:
नई नौकरियों का सृजन
- कोयला क्षेत्र में अगले कुछ वर्षों में 5 लाख नई नौकरियां सृजित होने की योजना है।
- यह रोजगार नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर बदलाव और उन्नत तकनीक के उपयोग के कारण संभव होगा।
कोयला उत्पादन और मांग
- कोयले की मांग 2040 तक अपने चरम पर पहुंचने की उम्मीद है, जबकि देश को हर साल 2 अरब टन कोयले की आवश्यकता होगी।
- कोयला उत्पादन में वृद्धि:
- 2014 के मुकाबले कोयला उत्पादन 76% बढ़ चुका है।
- 2024 तक उत्पादन 997 मिलियन टन तक पहुंचने का लक्ष्य है।
- 2030 तक उत्पादन 1.5 बिलियन टन करने का लक्ष्य रखा गया है।
- थर्मल पावर की 72% मांग पूरी हो चुकी है।
कोयला गैसीकरण और नई परियोजनाएं
- सरकार ने 2030 तक 100 मिलियन टन कोयला गैसीकरण का लक्ष्य रखा है।
- कोयला गैसीकरण परियोजना के लिए 8,500 करोड़ रुपये की लागत निर्धारित की गई है।
- घरेलू कोयला उत्पादन का मूल्य करीब 1.86 लाख करोड़ रुपये है।
खनिज अन्वेषण और राज्य सहयोग
- राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट ने अब तक 329 परियोजनाओं को वित्त पोषित किया है।
- राज्यों को खनिज अन्वेषण बढ़ाने और ट्रस्ट स्थापित करने के लिए धन का उपयोग करने की सलाह दी गई है।
- केंद्र ने अवैध खनन रोकने के लिए उन्नत तकनीक के साथ खनन निगरानी प्रणाली शुरू की है।
- 2024 में खनन रॉयल्टी से राज्यों को 2.69 लाख करोड़ रुपये की आय हुई।
भविष्य की दृष्टि
- भारत जल्द ही प्रमुख खनिजों की खोज में वैश्विक नेता बनने की उम्मीद कर रहा है।
- केंद्र खनिज प्राप्त करने के लिए वैश्विक बोलियों में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है।
सरकार की रणनीति
- कौशल विकास और क्षमता निर्माण पर जोर।
- खनन और कोयला क्षेत्रों में आधुनिक तकनीकों का उपयोग।
- खनिज अन्वेषण और अवैध खनन रोकने के लिए राज्यों का सहयोग।
यह घोषणाएं देश में न केवल ऊर्जा और खनिज संसाधनों के क्षेत्र में सुधार लाएंगी, बल्कि बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी प्रदान करेंगी। इसके अलावा, यह खनिज और कोयला क्षेत्रों में भारत को आत्मनिर्भर और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।