12 जून को अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया फ्लाइट AI-171 के भीषण हादसे ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। यह विमान अहमदाबाद से लंदन जा रहा था, लेकिन उड़ान भरने के महज दो मिनट बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान में सवार 242 लोगों में से 241 की मौत हो गई, जो भारतीय विमानन इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक बन गई। लेकिन इस भीषण हादसे में एकमात्र जीवित बचे विश्वास कुमार रमेश की कहानी न सिर्फ चमत्कारी मानी जा रही है, बल्कि वह इस दुर्घटना के सबसे अहम गवाह भी हैं।
विश्वास कुमार रमेश कौन हैं?
विश्वास कुमार रमेश भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक हैं और मूलतः दीव के निवासी हैं। करीब 35 वर्षीय विश्वास पेशे से बिजनेसमैन हैं और यूके व भारत के बीच व्यापारिक गतिविधियों में सक्रिय हैं। हादसे के समय वह फ्लाइट में सीट नंबर 11A पर बैठे थे। विमान के क्रैश के बाद उन्हें गंभीर अवस्था में अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के बाद अब वह ठीक होकर अपने गृहनगर दीव लौट चुके हैं।
विश्वास ने जांच एजेंसी को क्या बताया?
अस्पताल से छुट्टी से पहले क्राइम ब्रांच ने विश्वास कुमार से औपचारिक पूछताछ की। उन्होंने बताया कि टेक-ऑफ से पहले ही उन्हें विमान में तकनीकी खामी के संकेत महसूस हुए थे। उनके अनुसार, जैसे ही विमान ने रनवे छोड़ा, 5-10 सेकंड में ही तेज झटके महसूस हुए, मानो विमान किसी चीज़ से टकराया हो या उसमें संतुलन की कमी हो। इसके तुरंत बाद विमान तेजी से नीचे गिरने लगा और बी.जे. मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल से टकरा गया। विश्वास ने कहा कि उन्हें अब भी विश्वास नहीं हो रहा कि वह इस भयंकर हादसे में जीवित बच निकले।
क्यों अहम है विश्वास का बयान?
विश्वास कुमार इस भयावह हादसे के एकमात्र जीवित यात्री हैं, इसलिए उनका बयान जांच एजेंसियों के लिए बेहद अहम है। टेक-ऑफ के दौरान हुई घटनाओं का उनका अनुभव विमान के तकनीकी कारणों, संभावित यांत्रिक विफलता या मानव त्रुटि की जांच में उपयोगी हो सकता है। उनके विवरण से ब्लैक बॉक्स के डेटा का मिलान करके दुर्घटना के सटीक कारणों को उजागर किया जा सकता है।
हादसे की पूरी घटना
12 जून को दोपहर 1:38 बजे, एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 ने अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से लंदन के गैटविक एयरपोर्ट के लिए उड़ान भरी थी। विमान में 230 यात्री और 12 क्रू मेंबर थे — जिनमें 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और 1 कनाडाई नागरिक शामिल थे। 600 फीट की ऊंचाई तक पहुंचने के बाद विमान अचानक नियंत्रण खो बैठा और रिहायशी इलाके मेघानी नगर में स्थित बी.जे. मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल से टकरा गया। दुर्घटना के साथ ही विमान में विस्फोट हुआ और आग लग गई, जिससे अधिकतर लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।
जांच में क्या सामने आया?
घटना की जांच Aircraft Accident Investigation Bureau (AAIB) द्वारा की जा रही है। 13 जून को हादसे के अगले दिन हॉस्टल की छत से विमान का ब्लैक बॉक्स बरामद किया गया। इसके विश्लेषण से विमान के उड़ान भरने, गड़बड़ी शुरू होने और दुर्घटनाग्रस्त होने तक की सभी सूचनाएं मिलेंगी। इसके साथ-साथ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और अन्य केंद्रीय एजेंसियां भी मामले की सुनियोजित साजिश या आतंकवादी कोण से जांच कर रही हैं।
विश्वास की दीव वापसी और भावनात्मक स्वागत
अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद जब विश्वास अपने गृहनगर दीव पहुंचे, तो वहां स्थानीय लोगों और उनके परिवार ने भावुक स्वागत किया। हादसे ने उन्हें शारीरिक रूप से भले स्थिर किया हो, लेकिन मानसिक रूप से वे अब भी इस सदमे से पूरी तरह उबर नहीं पाए हैं। उनकी जीवित वापसी को लोग ईश्वर की कृपा और चमत्कार मान रहे हैं।
यह हादसा न केवल भारत की विमानन प्रणाली को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े करता है, बल्कि एयर इंडिया की तकनीकी जांच, सुरक्षा प्रोटोकॉल और आपात प्रबंधन पर भी व्यापक समीक्षा की आवश्यकता को उजागर करता है। आने वाले दिनों में ब्लैक बॉक्स और जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के जरिए इसके पीछे के कारण स्पष्ट हो सकेंगे।
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