राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने नागपुर में आयोजित कार्यकर्ता विकास वर्ग द्वितीय के समापन समारोह में एक महत्वपूर्ण और विचारोत्तेजक संबोधन दिया। अपने उद्बोधन में उन्होंने देश की सुरक्षा, समाज की भूमिका, और आत्मनिर्भर भारत की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही, उन्होंने हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले और उसके बाद की कार्रवाई को भारत की रक्षा क्षमताओं का परिचायक बताया।
आत्मनिर्भर सुरक्षा की आवश्यकता
डॉ. भागवत ने कहा कि देश की रक्षा केवल सेना और प्रशासन का दायित्व नहीं है, बल्कि समाज की सक्रिय भागीदारी भी अनिवार्य है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “हमें अपनी सुरक्षा के लिए आत्मनिर्भर बनना ही होगा।” वर्तमान वैश्विक हालातों में युद्ध के स्वरूप बदल गए हैं – अब पारंपरिक युद्धों की जगह प्रॉक्सी वॉर, आतंकवाद, और साइबर वॉर जैसी चुनौतियाँ सामने हैं, जिन्हें समाज और शासन को मिलकर सामना करना होगा।
पहलगाम हमला: एकजुटता और प्रतिक्रिया
सरसंघचालक ने पहलगाम में हुए नृशंस आतंकवादी हमले की चर्चा करते हुए कहा कि इस घटना के बाद देशभर में जनाक्रोश की लहर थी और पूरे देश ने एक स्वर में अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने बताया कि हमले के दोषियों पर कठोर कार्रवाई हुई, और इस दौरान राजनीतिक मतभेदों को भूलाकर सभी ने मिलकर राष्ट्रीय हित में एकजुटता दिखाई, जो एक दुर्लभ और प्रेरणादायक उदाहरण है।
द्वि-राष्ट्रवाद और प्रॉक्सी वॉर की चेतावनी
डॉ. भागवत ने चेताया कि समस्या केवल एक कार्रवाई से समाप्त नहीं होती। उन्होंने कहा कि आज भी द्वि-राष्ट्रवाद का भूत, धार्मिक कट्टरता, और सामाजिक विघटन के प्रयास जारी हैं। आतंकवाद, अफवाहें, और डिजिटल माध्यम से अस्थिरता पैदा करने की साजिशें अभी भी हमारे सामने खड़ी हैं।
सामाजिक उत्तरदायित्व और वनवासी समाज
उन्होंने आदिवासी समाज को राष्ट्र का अभिन्न अंग बताते हुए कहा कि उनकी समस्याएं संघ की चिंता का विषय हैं और संघ से जुड़े विभिन्न संगठन वनवासी क्षेत्रों में वर्षों से सक्रिय हैं। उन्होंने कहा, “हमारी कार्यपद्धति है, जिसके माध्यम से हम शासन तक उनकी आवाज़ पहुँचाते हैं। लेकिन अंततः शासन को ही काम करना है।”
वैश्विक संदेश और विशिष्ट मेहमानों की उपस्थिति
इस अवसर पर कई अंतरराष्ट्रीय विचारक और नीति विशेषज्ञ भी उपस्थित थे, जिन्होंने भारत की रक्षा, सामाजिक शक्ति और तकनीकी प्रगति को लेकर रुचि दिखाई:
- बिल शुस्टर: पूर्व अमेरिकी सांसद और हाउस ट्रांसपोर्टेशन कमेटी के चेयरमैन
- बॉब शुस्टर: सार्वजनिक नीति और रणनीति विशेषज्ञ
- ब्राडफोर्ड एलिसन: आर्थिक व नियामक नीतियों के विशेषज्ञ
- प्रो. वॉल्टर रसेल मेड: हडसन संस्थान से जुड़े शिक्षाविद और अंतरराष्ट्रीय नीति विश्लेषक
- बिल ड्रेक्सेल: एआई विशेषज्ञ और अमेरिका-भारत संबंधों के विश्लेषक
इन सभी मेहमानों की उपस्थिति संघ की वैश्विक संवाद की ओर बढ़ती पहल का भी प्रतीक मानी जा रही है।
डॉ. मोहन भागवत का यह संबोधन केवल एक संगठनात्मक कार्यक्रम तक सीमित नहीं था, बल्कि यह भारत की रक्षा रणनीति, सामाजिक एकजुटता, और वैश्विक संदर्भ में राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता की दिशा में एक स्पष्ट मार्गदर्शन था। उन्होंने राष्ट्र को यह याद दिलाया कि चुनौतियाँ कभी समाप्त नहीं होतीं, लेकिन समाज की सामूहिक चेतना और दृढ़ इच्छाशक्ति हर संकट को मात दे सकती है।