चुनावी बांड योजना को लेकर ऑल इंडिया बार एसोसिएशन (AIBA) ने गुरुवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में एआईबीए ने दानदाताओं के खुलासे के संबंध में फैसले की स्वत: समीक्षा का अनुरोध किया है।
एआईबीए के अध्यक्ष डॉ आदिश अग्रवाल ने कहा कि कॉर्पोरेट दानदाताओं के नाम और दान की राशि का खुलासा करने से कॉर्पोरेट उत्पीड़न के शिकार हो जाएंगे। बता दें कि आदिश अग्रवाल सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के पूर्व उपाध्यक्ष भी हैं।
अगर कॉर्पोरेट दानदाताओं के नाम का खुलासा हुआ तो
आदिश अग्रवाल ने तर्क दिया कि अगर कॉर्पोरेट दानदाताओं के नाम और विभिन्न पार्टियों को उनके द्वारा दिए गए दान की मात्रा का खुलासा किया जाता है, तो उन पार्टियों द्वारा उन्हें अलग-थलग कर दिए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। साथ ही उन्हें और अधिक परेशान किया जाएगा। यह उनका स्वैच्छिक दान स्वीकार करते समय दिये गये वादे से मुकरना होगा।
आदिश ने आगे कहा कि दान के समय, कॉर्पोरेट दानकर्ता को पूरी तरह से पता था कि दान के बाद, उसकी पहचान, दान की राशि और दान लेने वाले राजनीतिक दल का विवरण सार्वजनिक नहीं किया जाएगा और गोपनीय रखा जाएगा। गोपनीयता का यह प्रावधान संबंधित योजना में इस उद्देश्य से किया गया था कि दानदाता किसी अन्य राजनीतिक दल द्वारा उत्पीड़न का शिकार न हो, जिसे दानकर्ता ने योजना के तहत दान नहीं दिया है।
CJI को लिखे पत्र में पांच जजों की बेंच को कराया अवगत
इस संबंध में वरिष्ठ वकील डॉ आदिश अग्रवाल ने सीजेआई को लिखे अपने पत्र से पांच जजों की बेंच को अवगत कराया। मुख्य न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ ने अधिवक्ता अग्रवाला से सोमवार को मामले का उल्लेख करने को कहा है। आदिश अग्रवाल ने कहा ‘वर्तमान पत्र में मेरे द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर फैसले की समीक्षा करने की आवश्यकता है।