इस बैठक में बिहार, ओडिशा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, झारखंड, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और केरल राज्यों के मुख्यमंत्रियों, गृह मंत्रियों या उनके प्रतिनिधि भाग ले सकते हैं।
ये वो राज्य हैं जो वामपंथी उग्रवाद या नक्सली समस्या से प्रभावित हैं। बैठक में केंद्रीय गृह सचिव, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के शीर्ष अधिकारी, केंद्र और राज्य सरकारों के कई वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे। निश्चित अंतराल पर होने वाली इस बैठक का उद्देश्य वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों के विकास के लिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को पूरा करना है।
उग्रवाद पर नकेल कसने से नक्सली घटनाओं में गिरावट
हालांकि, केंद्र और राज्यों के संयुक्त प्रयासों से वामपंथी उग्रवाद पर नकेल कसने से नक्सली घटनाओं में काफी गिरावट आई है। केंद्र सरकार का मानना है कि जब तक देश वामपंथी उग्रवाद की समस्या से पूरी से खत्म नहीं हो जाती, तब तक देश और इससे प्रभावित राज्यों का पूर्ण विकास संभव नहीं है।
वामपंथी उग्रवाद देश में कई दशकों से एक महत्वपूर्ण चुनौती
बता दें कि वामपंथी उग्रवाद देश में कई दशकों से एक महत्वपूर्ण सुरक्षा चुनौती रहा है। गृह मंत्रालय ने वामपंथी उग्रवाद के खतरे से निपटने के लिए साल 2015 से एक ‘राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना’ पर काम कर रहा है। नीति में हिंसा के प्रति शून्य सहिष्णुता बरतने की बात कही गई है। इसके साथ ही विकासात्मक गतिविधियों पर एक बड़ा जोर है ताकि विकास का फायदा प्रभावित क्षेत्रों में गरीबों और कमजोर लोगों तक पहुंच सके।
सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने में राज्य सरकारों की मदद
केंद्र की नीति के मुताबिक, गृह मंत्रालय सीएपीएफ बटालियनों की तैनाती, हेलीकॉप्टर और यूएवी के प्रावधान और इंडिया रिजर्व बटालियन (IRB) और विशेष इंडिया रिजर्व बटालियन (SIRB) की मंजूरी देकर क्षमता निर्माण और सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने में राज्य सरकारों की मदद की जाती है।
केंद्र सरकार राज्यों की पुलिस के आधुनिकीकरण और उनके प्रशिक्षण के लिए पुलिस बल के आधुनिकीकरण, सुरक्षा संबंधी खर्च, योजना और विशेष बुनियादी ढांचा योजना के तहत भी पैसे देता है। वहीं, वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों के विकास के लिए, भारत सरकार ने कई विकासात्मक पहल की हैं जिनमें 17,600 किलोमीटर सड़क को मंजूरी देना शामिल है।