पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा अब जल्द ही हो सकती है। चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले चुनाव आयोग ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सुचारू संचालन के मद्देनजर रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए शुक्रवार को अपने पर्यवेक्षकों की बैठक बुलाई है। निर्वाचन आयोग के पुलिस, सामान्य और व्यय पर्यवेक्षकों की दिनभर होने वाली इस बैठक का उद्देश्य यह सुनिश्चित करने के लिए रणनीति को सुव्यवस्थित करना है कि आदर्श आचार संहिता प्रभावी ढंग से लागू हो और धन व बाहुबल पर लगाम कसी जा सके।
आयोग ने अब तक राजस्थान, मिजोरम, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव तैयारियों का जायजा लिया है। आयोग का एक दल तेलंगाना की यात्रा पर है। निर्वाचन आयोग अगले कुछ दिनों में पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा कर सकता है। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, मिजोरम और राजस्थान में नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। मिजोरम विधानसभा का कार्यकाल इस साल 17 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। पूर्वोत्तर राज्य में मिजो नेशनल फ्रंट सत्ता में है। तेलंगाना, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की विधानसभाओं का कार्यकाल अगले साल जनवरी में अलग-अलग तारीखों पर समाप्त हो रहा है। तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) का शासन है, जबकि मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकारें हैं।
आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिये प्रतिबद्ध है: मुख्य चुनाव आयुक्त
इससे पहले मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने जयपुर में कहा कि चुनाव आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें मतदान आम आदमी के लिये आसान बनाना और मतदान प्रतिशत बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया गया है। आयुक्त ने यह भी कहा कि आयोग के सामने अनिवार्य मतदान का कोई प्रस्ताव नहीं है। जयपुर में संवाददाताओं से बातचीत में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को अखबारों में विज्ञापन देकर अपने आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में बताना होगा। इसके साथ ही राजनीतिक दलों को यह कारण भी बताना होगा कि पार्टी ने उसे उम्मीदवार के तौर पर क्यों चुना है।
उन्होंने बताया कि राजस्थान में पहली बार बुजुर्ग मतदाताओं के साथ-साथ 40 प्रतिशत विकलांगता वाले व्यक्तियों के लिए भी घर से वोट देने की सुविधा उपलब्ध होगी। अनिवार्य मतदान के बारे में पूछे गये सवाल पर उन्होंने कहा, ”चुनाव आयोग के समक्ष अनिवार्य मतदान का कोई प्रस्ताव नहीं है।” कुमार ने कहा कि मतदान प्रतिशत बढ़ाने और मतदान में आसानी बढ़ाने के लिए पहल की गई है, साथ ही, राज्य में कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सीमा क्षेत्र, खासकर हरियाणा और पंजाब सीमा पर शराब और नकदी के परिवहन की जांच करने के सख्त निर्देश दिए गए हैं।