उत्तर प्रदेश की एंटी टेररिज़्म स्क्वाड (ATS) ने अवैध धर्मांतरण और विदेशी फंडिंग से जुड़े एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए जलालुद्दीन उर्फ छांगुर पीर और उसकी करीबी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन समेत 6 आरोपितों के खिलाफ लखनऊ की NIA कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है। इस संगठित गिरोह का नेटवर्क लखनऊ से लेकर मुंबई तक फैला हुआ था और इसका उद्देश्य हिंदू और सिख युवतियों को बहला-फुसलाकर या दबाव डालकर इस्लाम धर्म में परिवर्तित कराना, विदेशी पैसों के जरिए देश में शरिया कानून लागू करने और लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करने की साजिश रचना था। इस मामले में अब तक ATS और ED दोनों एजेंसियाँ मिलकर विस्तृत जाँच कर रही हैं, जिसमें करोड़ों की फंडिंग, अवैध संपत्तियाँ, विदेशी नेटवर्क और आतंकी गतिविधियों की साजिश का खुलासा हुआ है।
धर्मांतरण और विदेशी फंडिंग का नेटवर्क
ATS की विस्तृत जाँच रिपोर्ट के मुताबिक, छांगुर पीर वर्षों से एक सुव्यवस्थित धर्मांतरण गिरोह चला रहा था। यह गिरोह मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली और बिहार जैसे राज्यों में सक्रिय था। इसका टारगेट वे हिंदू और सिख परिवारों की लड़कियाँ थीं जो आर्थिक रूप से कमजोर थीं या जिन्हें किसी न किसी कारण से लालच, पैसे, या शादी के झाँसे में फँसाया जा सकता था। ATS ने पाया कि छांगुर का गिरोह इन युवतियों को धार्मिक छलावे, भय, या कानूनी कार्रवाई की धमकी देकर इस्लाम धर्म स्वीकार करने को मजबूर करता था। धर्मांतरण के बाद उन्हें कट्टर संगठनों के संपर्क में लाया जाता था और कई को विदेश भेजने की तैयारी भी की जाती थी।
चार्जशीट में कहा गया है कि यह पूरा नेटवर्क विदेशी फंडिंग पर निर्भर था। दुबई, पाकिस्तान, नेपाल, सऊदी अरब और कनाडा जैसे देशों से कंपनियों और NGO के माध्यम से करोड़ों रुपए भारत भेजे जाते थे। यह रकम नीतू उर्फ नसरीन और उसके पति नवीन रोहरा के बैंक खातों में जमा होती थी। बाद में इस पैसे का इस्तेमाल बलरामपुर और आसपास के इलाकों में जमीन, मकान और व्यावसायिक संपत्तियाँ खरीदने में किया जाता था। ATS के अनुसार, इन संपत्तियों की कुल कीमत ₹300 करोड़ से अधिक आँकी गई है। कोर्ट में काम करने वाला कर्मचारी राजेश उपाध्याय भी इस पूरे नेटवर्क का अहम हिस्सा था, जिसने दस्तावेज़ी लेनदेन और संपत्ति खरीद में छांगुर की मदद की।
शरिया कानून लागू करने और आतंकी सेंटर की साजिश
चार्जशीट में एक और बड़ा खुलासा यह है कि छांगुर पीर और उसका गिरोह भारत में शरिया कानून लागू करने की साजिश रच रहा था। इसके लिए संगठन ने बलरामपुर के पास एक बड़ी इमारत खरीदी थी, जिसे “धार्मिक केंद्र” के नाम पर आतंकी प्रशिक्षण शिविर के रूप में इस्तेमाल करने की योजना थी। ATS का कहना है कि इस प्रशिक्षण केंद्र में युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा सिखाने और हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने की योजना थी, ताकि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर किया जा सके और समाज में अस्थिरता फैलाई जा सके।
ED की जाँच और संपत्तियों की जब्ती
इस रैकेट की गंभीरता को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी अपनी स्वतंत्र जाँच शुरू की। ED को दुबई से आए करोड़ों रुपए के लेनदेन के ठोस सबूत मिले हैं। अब तक एजेंसी ने 13 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्तियाँ जब्त की हैं, जिनमें लग्जरी गाड़ियाँ, कीमती ज़मीनें और आलीशान मकान शामिल हैं। ED को संदेह है कि यह पैसा हवाला नेटवर्क और शेल कंपनियों के ज़रिए भारत में लाया गया था।
कोर्ट की कार्रवाई और आगे की जाँच
ATS ने इस केस में अब तक 6 आरोपितों – जलालुद्दीन उर्फ छांगुर पीर, नीतू उर्फ नसरीन, नवीन रोहरा, सबरोज उर्फ साबुरोज, शहाबुद्दीन और कोर्ट कर्मचारी राजेश उपाध्याय के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। सभी आरोपी वर्तमान में जेल में बंद हैं। कोर्ट ने अभी इस चार्जशीट पर संज्ञान नहीं लिया है, जबकि ATS ने बताया कि मामले में 3 और फरार आरोपियों की तलाश जारी है। इन पर विदेशी फंडिंग, देशद्रोह, धार्मिक भावनाएँ भड़काने, अवैध संपत्ति अर्जित करने और संगठित आपराधिक षड्यंत्र के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला
जाँच एजेंसियों का मानना है कि यह मामला सिर्फ धर्मांतरण का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा है। ATS ने कहा है कि गिरोह के कई सदस्य विदेशी संगठनों और इस्लामी कट्टरपंथी समूहों से संपर्क में थे। यह नेटवर्क सोशल मीडिया के माध्यम से सक्रिय था और भारत में एक समानांतर धार्मिक व्यवस्था खड़ी करने की कोशिश कर रहा था। एजेंसियों ने दावा किया है कि आने वाले दिनों में इस रैकेट से जुड़े और लोगों पर कार्रवाई की जाएगी और विदेशी फंडिंग के पूरे चैनल को उजागर किया जाएगा।
इस प्रकार, यह मामला उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण और विदेशी हस्तक्षेप के अब तक के सबसे बड़े नेटवर्क में से एक माना जा रहा है, जिसने सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया है।
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