केंद्रीय कैबिनेट ने मंगलवार को देश के रेल नेटवर्क को और मज़बूत बनाने के लिए चार प्रमुख रेलवे परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी कि इन परियोजनाओं में — वर्धा-भुसावल तीसरी और चौथी लाइन, गोंदिया-डोंगरगढ़ चौथी लाइन, वडोदरा-रतलाम तीसरी और चौथी लाइन, और इटारसी-भोपाल-बीना चौथी लाइन शामिल हैं। इन परियोजनाओं पर लगभग ₹24,634 करोड़ की लागत आएगी और इनके माध्यम से भारतीय रेलवे नेटवर्क में करीब 894 किलोमीटर नई लाइनों की वृद्धि होगी। ये परियोजनाएं महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ के 18 जिलों को कवर करेंगी, जिससे न केवल कनेक्टिविटी में सुधार होगा, बल्कि क्षेत्रीय विकास और रोजगार के अवसरों में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी।
परियोजनाओं का विस्तृत विवरण
- वर्धा–भुसावल तीसरी और चौथी लाइन (314 किमी, महाराष्ट्र)
यह परियोजना महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के लिए एक बड़ी सौगात है। इस मार्ग पर भारी मालगाड़ियों और यात्री ट्रेनों की आवाजाही को देखते हुए नई दो लाइनों का निर्माण किया जाएगा, जिससे रेलवे की परिचालन क्षमता दोगुनी हो जाएगी। - गोंदिया–डोंगरगढ़ चौथी लाइन (84 किमी, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़)
यह परियोजना महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण कॉरिडोर है। यह मार्ग माल ढुलाई और औद्योगिक कनेक्टिविटी के लिहाज़ से अत्यंत अहम है, क्योंकि यह क्षेत्र देश के खनिज और औद्योगिक बेल्ट से होकर गुजरता है। - वडोदरा–रतलाम तीसरी और चौथी लाइन (259 किमी, गुजरात और मध्य प्रदेश)
पश्चिमी रेलवे नेटवर्क का यह खंड गुजरात और मध्य प्रदेश के बीच यात्री और माल परिवहन की मुख्य धुरी है। नई लाइनों से वडोदरा, दाहोद और रतलाम के बीच ट्रेनों की गति और आवागमन क्षमता में जबरदस्त सुधार होगा, जिससे औद्योगिक और पर्यटन दोनों क्षेत्रों को फायदा मिलेगा। - इटारसी–भोपाल–बीना चौथी लाइन (237 किमी, मध्य प्रदेश)
यह परियोजना मध्य प्रदेश के रेलवे नेटवर्क को नई ऊर्जा देगी। भोपाल डिवीजन देश के सबसे व्यस्त रेल रूट्स में से एक है, जहाँ रोज़ाना सैकड़ों ट्रेनें गुजरती हैं। चौथी लाइन बनने से ट्रेनों की देरी में कमी आएगी और मालगाड़ियों की आवाजाही अधिक सुचारु होगी।
#Cabinet approves Four (4⃣) projects of the Ministry of Railways with a total cost of Rs. 24,634 crore (approx.). These projects include:
🔹Wardha – Bhusawal – 3rd & 4th line – 314 kms (Maharashtra)
🔹Gondia – Dongargarh – 4th line – 84 kms (Maharashtra & Chhattisgarh)… pic.twitter.com/TkD63RkXqj
— PIB India (@PIB_India) October 7, 2025
कनेक्टिविटी और सामाजिक-आर्थिक लाभ
इन परियोजनाओं से 3,633 गाँवों को सीधी या परोक्ष रूप से रेल कनेक्टिविटी का लाभ मिलेगा, जिनकी कुल आबादी लगभग 85.84 लाख है। इसमें दो आकांक्षी ज़िले – विदिशा (मध्य प्रदेश) और राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) भी शामिल हैं। यह कदम इन पिछड़े क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास में निर्णायक भूमिका निभाएगा। रेलवे मंत्रालय के अनुसार, इन परियोजनाओं के पूर्ण होने से यात्री और मालगाड़ियों दोनों की परिचालन क्षमता बढ़ेगी, जिससे ट्रेनें समय पर चलेंगी, और माल परिवहन की लागत और समय दोनों में कमी आएगी।
गतिशीलता और रोजगार सृजन
सरकार का कहना है कि इन नई लाइनों से भारतीय रेल की गतिशीलता और परिचालन दक्षता में उल्लेखनीय सुधार होगा। मल्टी-ट्रैकिंग से ट्रेनों की गति बढ़ेगी, नेटवर्क में भीड़भाड़ कम होगी, और डिटेंशन टाइम घटेगा। इससे न केवल यात्रियों को बेहतर सुविधा मिलेगी बल्कि माल परिवहन की गति और दक्षता में भी वृद्धि होगी। इसके साथ ही, इन परियोजनाओं के निर्माण चरण के दौरान और बाद में हजारों प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे। स्थानीय लोगों को निर्माण, रखरखाव, लॉजिस्टिक्स और सहायक सेवाओं में रोजगार मिलेगा, जिससे ग्रामीण और अर्ध-शहरी अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
पीएम-गति शक्ति योजना के अनुरूप परियोजनाएं
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि ये सभी परियोजनाएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान” के अनुरूप तैयार की गई हैं। इस योजना का उद्देश्य मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक दक्षता को बढ़ावा देना है ताकि देश में लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित की जा सके। ये परियोजनाएं न केवल औद्योगिक और कृषि क्षेत्रों को जोड़ेंगी, बल्कि देश के प्रमुख पर्यटन स्थलों जैसे – सांची स्तूप, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, भीमबेटका शैलाश्रय, हजारा जलप्रपात और नवेगांव राष्ट्रीय उद्यान तक रेल कनेक्टिविटी को और बेहतर बनाएंगी, जिससे पर्यटन उद्योग को भी नई गति मिलेगी।
कुल मिलाकर, कैबिनेट द्वारा स्वीकृत ये चार रेलवे परियोजनाएं भारतीय रेल के बुनियादी ढांचे में ऐतिहासिक सुधार की दिशा में बड़ा कदम हैं। ये न केवल यात्रा को तेज़, सुरक्षित और आरामदायक बनाएंगी, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित भारत” के विज़न को साकार करने में भी अहम भूमिका निभाएँगी। इनसे क्षेत्रीय विकास, औद्योगिक प्रगति और आत्मनिर्भरता की दिशा में नई संभावनाओं के द्वार खुलेंगे।
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