महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नितेश राणे ने राज्य में होने वाली 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं के दौरान मुस्लिम छात्राओं के बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उन्होंने इस संबंध में राज्य के शिक्षा मंत्री दादा भुसे को पत्र लिखा है और सुरक्षा, पारदर्शिता और परीक्षा में संभावित नकल को लेकर चिंता व्यक्त की है।
नितेश राणे के मुख्य तर्क:
- पारदर्शिता और सुरक्षा – बुर्का पहनने से यह सुनिश्चित करना मुश्किल हो सकता है कि परीक्षार्थी परीक्षा के दौरान नकल के लिए किसी उपकरण का उपयोग कर रहे हैं या नहीं।
- समानता का सवाल – अगर अन्य धर्मों के छात्र-छात्राएं परीक्षा केंद्रों में धार्मिक परिधान पहनकर नहीं आते, तो मुस्लिम छात्राओं को इसकी अनुमति क्यों दी जाए?
- महिला पुलिसकर्मी की तैनाती का सुझाव – यदि आवश्यक हो, तो परीक्षा केंद्रों पर महिला पुलिसकर्मियों या महिला कर्मचारियों को तैनात किया जाए ताकि सुरक्षा और पारदर्शिता बनी रहे।
- पूर्व में बुर्के के दुरुपयोग के मामले – हाल के दिनों में कुछ मामलों में बुर्के का उपयोग नकल के लिए किए जाने की घटनाएं सामने आई हैं।
- भारत की सामाजिक संरचना का संदर्भ – उन्होंने कहा कि “हम पाकिस्तान या अफगानिस्तान में नहीं रहते,” implying कि भारत में धार्मिक परिधानों को सार्वजनिक स्थानों, विशेष रूप से शिक्षा केंद्रों में सीमित किया जाना चाहिए।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया:
- यह मांग ऐसे समय में आई है जब हिजाब और बुर्के को लेकर देशभर में बहस चल रही है, खासकर कर्नाटक हिजाब विवाद के बाद।
- विपक्षी दल और मुस्लिम संगठनों से इस प्रस्ताव का विरोध होने की संभावना है, क्योंकि यह धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार से जुड़ा हुआ मुद्दा है।
- सरकार इस मांग पर क्या निर्णय लेगी, यह देखने वाली बात होगी, लेकिन यह निश्चित रूप से चुनावी और सामाजिक बहस को तेज कर सकता है।