2024 लोकसभा चुनाव से पहले सियासत का सेमीफाइनल माने जा रहे विधानसभा चुनावों में बीजेपी बेहतर प्रदर्शन करने के लिए बेचैन है. पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में बीजेपी राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीत हासिल करना चाहती है, जबकि तेलंगाना और मिजोरम में अपने पुराने प्रदर्शन में सुधार के लिए लड़ाई लड़ रही है. दरअसल तीन राज्यों में पार्टी के पार्टी के प्रदर्शन से लोकसभा चुनाव का परसेप्शन (धारणा) जुड़ा है, लिहाजा बीजेपी इनमें अव्वल रहना चाहती है.
इस साल होने जा रहे विधानसभा चुनावों में जीत को लेकर बीजेपी आला नेतृत्व के लगातार बेचैनी का एक मुख्य कारण इन पांच राज्यों में आनेवाली लोकसभा की 83 सीटें हैं. इन लोकसभा सीटों में से बीजेपी के पास 65 हैं, जबकि कांग्रेस के पास महज 6 लोकसभा सीटें हैं. पांच राज्यों की इन 83 सीटों में से 3 राज्यों के 65 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस की सीधी टक्कर होती है.
बीजेपी और कांग्रेस की आमने-सामने लड़ाई
इनमें छत्तीसगढ़ की 11, मध्यप्रदेश की 29 और राजस्थान की 25 सीटें ऐसी हैं, जहां बीजेपी और कांग्रेस ही मुख्यतौर पर आमने-सामने की लड़ाई लड़ती हैं. एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की इन 65 सीटों में से सिर्फ 3 सीटें (एमपी-1, छत्तीसगढ़-2) ही फिलहाल कांग्रेस के पास हैं, जबकि 62 सीटें बीजेपी के खाते में हैं. लिहाजा किसी भी तरह से इन राज्यों में कांग्रेस की मजबूती 2024 लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी की परेशानी का कारण बन सकती है. इस वजह से बीजेपी किसी भी कीमत पर इन राज्यों में अपनी स्थिति को दुरुस्त रखना चाहती है.
विधानसभा सीटों का चुनावी अंकगणित
अब यदि इन पांच चुनावी राज्यों (मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिज़ोरम) की विधानसभा सीटों के जरिए चुनावी अंकगणित और रणनीति को समझने की कोशिश करें तो यहां कुल 679 विधानसभा सीटें हैं. पांच राज्यों की 679 विधानसभा सीटों में फिलहाल 217 सीटें बीजेपी की झोली में है, जबकि कांग्रेस के पास 286 सीटें हैं यानि कांग्रेस के पास बीजेपी से 69 सीटें ज़्यादा हैं.
2018 विधानसभा चुनावों का इतिहास
इसको अगर बारीकी से समझें तो 2018 विधानसभा चुनावों में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ तीनों ही राज्यों में कांग्रेस या तो जीत गई या जीत के आंकड़ों के बिल्कुल ही करीब रही. कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के 90 में से 68, मध्यप्रदेश के 230 में से 114 और राजस्थान के 200 में से 100 सीटें जितने में कामयाब रही. तब चुनाव जीतकर एमपी में कमलनाथ, राजस्थान में अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन चंद महीनों बाद ही हुए लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने इन राज्यों में जबरदस्त वापसी की थी और तीनों ही राज्यों से लगभग कांग्रेस को सिमटा दिया था.
हालांकि कुछ बीजेपी नेताओं का मानना है कि विधानसभा चुनावों का असर लोकसभा पर नहीं होता है. ऐसे नेता अपने तर्क को मजबूती देने के लिए दिसंबर 2018 विधानसभा चुनावों के रिजल्ट और महज 5 महीने बाद मई 2019 में इन राज्यों में आए लोकसभा चुनावों के रिजल्ट से तुलना कर रहे हैं.
फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रही बीजेपी
वहीं बीजेपी के ही कुछ नेताओं को ऐसा कहना है कि 2019 लोकसभा चुनाव की परिस्थियां बिल्कुल अलग थीं और राष्ट्रवाद और देशभक्ति से सराबोर माहौल में बीजेपी को अप्रत्याशित परिणाम जरूर हासिल हो सका था लेकिन ऐसा हर बार हो पाना संभव नहीं होता. इसीलिए बीजेपी शीर्ष नेतृत्व फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रहा है और एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान को लेकर किसी तरह की कमी नहीं छोड़ना चाहता.
बीजेपी ने तैयार किया खास प्लान
बहरहाल इन चुनावी राज्यों में चुनाव को न्यूट्रलाइज करने का बीजेपी ने खास प्लान तैयार किया है. इन राज्यों में बूथ लेवल माइक्रो और मैक्रो मैनेजमेंट, बाहरी राज्यों के नेताओं को जिला और विधानसभा स्तर पर डिप्लॉयमेंट, हरेक जाति और वर्ग पर काम करने के लिए विस्तारकों की टोली, बेहतरीन कम्युनिकेशन सिस्टम और कॉल सेंटर्स के जरिए रेगुलर नया प्रचार मैटेरियल, स्थानीय विपक्षी पार्टी और मुख्यमंत्रियों के खिलाफ मोर्चाबंदी और सबसे ऊपर पीएम, गृहमंत्री, बीजेपी के टॉप लीडर्स और मुख्यमंत्रियों के जरिए कॉरपेट बोम्बिंग कर अगले 40 दिनों में कोई मौका चूकना नहीं चाहती.
कांग्रेस की रणनीति को फेल करने की तैयारी
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक पार्टी की चुनावी गतिविधियां इस हफ्ते से और तेज होंगी और 20 से 22 अक्टूबर तक उम्मीदवारों के नामों को तय कर पूरी ताकत के साथ मैदान से जुट जायेगी. बीजेपी नेताओं के मुताबिक पार्टी अगले 30 से 40 दिनों बीच जबरदस्त तेज गति से एक्शन लेगी और धुआंधार प्रचार कर कांग्रेस के हरेक रणनीति को फेल करेगी.