सेना में अपने पद पर रहने और सांसद रहने के दौरान फ़ास्ट एक्शन और क्विक रिएक्शन के लिए जाने, जाने वाले जनरल वीके सिंह इस लोकसभा चुनाव में कुछ बदले-बदले से नजर आ रहे हैं. मुस्कुराहट तो आज भी उनके चेहरे पर है, लेकिन वो बात नहीं है, जो पहले हुआ करती थी. गाजियाबाद के वर्तमान सांसद होने के बावजूद इस बार के लोकसभा चुनाव में वे अपने संसदीय क्षेत्र से गायब ही रहे. पीएम मोदी के रोड शो के अलावा उन्होंने किसी भी राजनीतिक कार्यक्रमों में हिस्सा नहीं लिया. जब वे सपरिवार गाजियाबाद वोट डालने पहुंचे तो मीडिया ने उन्हें घेर लिया और तबतोड़ सवाल उनसे पूछ डाले.
अमूमन बड़ी ही बेवाकी और स्पष्टता से जवाब देने वाले जनरल वीके सिंह ने मीडिया के सवालों का जवाब तो जरूर दिया लेकिन गोल-मोल और डिप्लोमैटिम तरीके से दिया. इसके पीछे की वजह कहीं न कहीं इस बार उनका टिकट कटना जरूर है. वे भले ही मीडिया के सामने मुस्कुराते हुए सहज दिखने की कोशिश करते रहे, लेकिन इस बार वो जेनरल और सांसद नजर नहीं आये जैसे वो हुआ करते थे. इस दौरान वे पार्टी के दावों से लेकर अपनी भूमिका तक पर कुछ भी स्पष्ट तरीके से बोलने से बचते नजर आए.
‘दक्षिण भारत में पार्टी इस बार कर रही पहले से ज्यादा सीटें हासिल’
उनसे जब उनके टिकट कटने के कारण ठाकुरों की बीजेपी से नाराजगी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसका जवाब तो ठाकुर ही दे सकते हैं. वहीं जब उनसे पार्टी की 400 से अधिक सीटों पर जीतने के दावों के बारे में बात की गई तो उन्होंने डिप्लोमैटिक अंदाज में जवाब देते हुए कहा कि इसका पता तो 4 जून को ही चल पायेगा, लेकिन हां दक्षिण भारत मे पार्टी इस बार जरूर पहले से ज्यादा सीटें हासिल कर रही है.
‘4 जून के बाद पता चलेगा क्या होगी उनकी भूमिका’
लोकसभा चुनाव और वर्तमान सांसद होने के बावजूद गाजियाबाद के प्रचार अभियान में अपनी गैरमौजूदगी पर सिंह ने कहा कि, पार्टी ने उन्हें दक्षिण प्रान्तों में पार्टी को मजबूती प्रदान कर वहां जीत को सुनिश्चित करने का दायित्व दिया है, फिलहाल वे उसी को निभाने में व्यस्त हैं, और यही वजह है कि वे यहां के राजनीतिक कार्यक्रमों में हिस्सा नहीं ले पाए. वहीं उन्होंने भविष्य में पार्टी और सरकार में उनकी भूमिका को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि इंतजार कीजिये, 4 जून के बाद इसका जवाब मिल जाएगा.
आपको बताते चले कि 26 अप्रैल को उत्तर प्रदेश समेत 13 राज्यों 88 सीटों पर दूसरे चरण का मतदान हुआ जिसमें उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित संसदीय क्षेत्र गाजियाबाद काफी चर्चे में रहता है क्योंकि यहां से लगातार BJP की जीत होती रही है लेकिन इस बार प्रत्याशी बदलने से मौजूदा सांसद के साथ आम जनता भी खफा खफा दिखी. इस बार वोट प्रतिशत बढ़ने का चांस था. तो वहीं लोगो की नाराजगी आखिरकार खुलकर तब सामने आई जब वोट प्रतिशत का आलंकन किया गया. इस बार वोटिंग 50 प्रतिशत तक का आंकड़ा भी नही छू पाई, जबकि पिछली बार 55.78 तक गया था.