मणिपुर में हिंसा के 10 दिनों बाद राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह दिल्ली पहुंचे. सीएम ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और राज्य के हालात के बारे में उन्हें जानकारी दी. यहां 3 मई को मैतेई और कूकी आदिवासियों के बीच हिंसा भड़क गई थी. मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में भड़की हिंसा में 60 लोग मारे गए हैं. जाति को लेकर दोनों आदिवासी समुदायों में लंबे समय से टकराव है.
मैतेई की मांग रही है कि उन्हें एसटी की लिस्ट में शामिल किया जाए. इस मांग को लेकर वे रविवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर भी इकट्ठा हुए थे. मैतेई समुदाय ने राज्य में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) लागू करने की मांग की, ताकि अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें डिपोर्ट किया जा सके. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि कूकी-बाहुल्य पहाड़ी क्षेत्रों में रह रही मैतेई आबादी को अपना घर छोड़ना पड़ा है. वे अब वापस नहीं जा सकते.
मुख्यमंत्री बीरेन सिंह अपने चार कैबिनेट मंत्रियों के साथ गृह मंत्री से मिलन पहुंचे थे. इस दौरान बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद रहे. मुख्यमंत्री ने गृह मंत्री को आदिवासी विधायकों की अलग एडमिनिस्ट्रेशन की मांग के बारे में भी बताया. एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गृह मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि मणिपुर में हालात अब सामान्य हो रहे हैं. हालांकि हिंसा की वजह से मैतेई और कूकी समुदायों में एक दूसरे के प्रति नफरत बढ़ गई है. आशंका है कि आने वाले दिनों में राज्य में और भी टकराव देखने को मिल सकते हैं.
कूकी समुदाय से बीजेपी के 8 विधायक हैं और दो इसी समुदाय के दो अन्य विधायकों का बीरेन सरकार को समर्थन है. पिछले दिनों सभी ने एक संयुक्त बयान जारी कर एक अलग एडमिनिस्ट्रेशन की मांग रखी. विधायकों ने कहा कि वे अब हिंसाओं के बाद मैतेई के साथ नहीं रह सकते. 3 मई को 10 पहाड़ी जिलों में मणिपुर के ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ने ‘ट्राइबल सॉलिडरिटी मार्च’ निकाला था, जिसके बाद हिंसा भड़की थी. इस मार्च को नागा स्टूडेंट्स यूनियन चंदेल, सदर हिल्स ट्राइबल यूनियन ऑन लैंड एंड फॉरेस्ट्स, तांगखुल कटमनाओ सकलोंग और ट्राइबल चर्च लीडर्स फोरम ने समर्थन दिया था.