राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने पहलगाम हमले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक बड़ा खुलासा किया है। राष्ट्रीय जाँच एजेंसी ने बताया है कि पहलगाम में जो आतंकी हमला हुआ है, उसका सीधा संबंध गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर पकड़े गए 21,000 करोड़ रुपए के ड्रग्स के जखीरे से है। एजेंसी ने सितंबर 2021 में तकरीबन 3,000 किलोग्राम हेरोइन पकड़ी थी।
NIA ने कहा है कि पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) नाम का आतंकी संगठन ड्रग्स बेचकर जेहाद के लिए पैसा जुटा रहा था। एजेंसी का कहना है कि लश्कर-ए-तैयबा उन पैसों का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा एवं अंजाम देने के लिए करना चाह रहा था। इसके साथ ही वह देश के युवाओं को नशे का आदी बनाकर भारत को कमजोर करना चाहता था।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट में कहा, “देखिए पहलगाम में उन्होंने (आतंकी) पर्यटकों के साथ क्या किया? उन्होंने मासूम पर्यटकों पर गोली चलाई।” उन्होंने आगे इस खेप के जरिए भी वह ऐसा ही करना चाह रहा था। पहले भी इसी तरह से ड्रग्स की खेप अफगानिस्तान से भारत लाई गई थी। यह खेप वैध कागजात के साथ लाया गया था, जिनमें टाल्क स्टोन होने की बात कही गई थी।
एनआईए का कहना है कि ड्रग्स बेचकर जो भी पैसा मिलता था, उसे दिल्ली के कुछ गोदामों में रखा जाता था और फिर वहाँ से एलईटी तक पहुँचाया जाता था। एनआईए ने साफ कहा कि यह भारत में पकड़ी गई ड्रग्स की सबसे बड़ी खेप है। एजेंसी ने हरप्रीत सिंह तलवार उर्फ कबीर तलवार नाम के एक व्यक्ति को भी इस ड्रग्स के धंधे में शामिल बताया है, जो फिलहाल जमानत माँग रहा है।
एनआईए ने कोर्ट में कहा है कि अफगानिस्तान में बैठे ड्रग्स तस्करों ने 2,999.2 किलोग्राम की बड़ी मात्रा में हेरोइन भारत भेजी थी। इसमें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और ईरान के कुछ लोगों ने मदद की थी। इसकी कीमत 21,000 हजार करोड़ रुपए थी। इसे ईरान के रास्ते लाया गया था और टाल्क स्टोन बताकर मुंद्रा पोर्ट पर उतारा गया था।
एजेंसी ने यह भी कहा कि इस मामले में गवाह ने एक व्यक्ति ने बयान दिया था कि लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) के मारे गए गुर्गे लतीफ राथर ने उसे बताया था कि दिसंबर 2021 में मोहम्मद इकबाल अवान और अफगानिस्तान/पाकिस्तान स्थित ड्रग तस्करों ने उसके साथ कश्मीर मुद्दे, अनुच्छेद 370 पर चर्चा की थी।
उस गवाह ने NIA को आगे कहा था कि लतीफ ने अपने कोड नाम मलिक को हरियाणा के एक व्यक्ति से 10 और 15 लाख वसूलने के लिए दिल्ली/हरियाणा सीमा पर भेजा था। एजेंसी ने अदालत को बताया, “इस पैसे का इस्तेमाल लश्कर-ए-तैयबा के नए रंगरूटों के लिए हथियार और गोला-बारूद खरीदने के लिए किया गया था।”