1. पाकिस्तान से संपर्क और तीन यात्राएं
- जसबीर सिंह उर्फ जान महल, एक यूट्यूब ब्लॉगर है जिसने 2020, 2021 और 2024 में पाकिस्तान की यात्रा की।
- वह पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस के कार्यक्रम में भी शामिल हुआ, जिसे दानिश (पाक उच्चायोग के पूर्व अधिकारी) ने आयोजित किया था।
- वहां उसने पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों और व्लॉगर्स से सीधी मुलाकात की थी।
2. पाकिस्तानी नंबर और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में सबूत
- पुलिस को जसबीर के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में पाकिस्तान के कई नंबर मिले हैं।
- ये नंबर सिर्फ कॉल लॉग्स नहीं, बल्कि संभावित एजेंट्स से जुड़े हो सकते हैं।
- फॉरेंसिक जांच में यह देखा जा रहा है कि उसने कौन-कौन सी संवेदनशील जानकारियां साझा कीं।
3. सेना की मूवमेंट और जासूसी
- FIR के अनुसार, जसबीर ने भारतीय सेना की मूवमेंट की जानकारी ISI तक पहुंचाई थी।
- यह सीधे तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे की श्रेणी में आता है।
- उसे भारत में ISI के इशारे पर निगरानी और रिपोर्टिंग करने का आरोप है।
4. ISI नेटवर्क से जुड़ाव: शाकिर, दानिश और ज्योति मल्होत्रा
- जसबीर का संबंध एक पीआईओ (Pakistani Intelligence Operative) शाकिर उर्फ जुट्ट रंधावा से जुड़ा पाया गया है।
- वह हरियाणा की यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा और पाक नागरिक दानिश के संपर्क में भी था, जिन्हें जासूसी के आरोप में पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
- यह दिखाता है कि भारत में एक सोशल मीडिया आधारित ISI-सहयोगी नेटवर्क काम कर रहा है।
5. भारत में पाकिस्तानी खुफिया नेटवर्क की गहराई
- जसबीर की गिरफ्तारी से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में सक्रिय जासूसी रैकेट की पुष्टि होती है।
- पिछले तीन हफ्तों में 12 लोगों की गिरफ्तारी इसी संदर्भ में हुई है, जिससे एक संगठित नेटवर्क का संदेह बढ़ता जा रहा है।
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, विशेष रूप से YouTube, का इस्तेमाल ‘व्लॉगिंग’ की आड़ में खुफिया गतिविधियों के लिए किया जा रहा है।
क्या आगे हो सकता है?
- एनआईए या RAW जैसी केंद्रीय एजेंसियां इस मामले को राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से हैंडल कर सकती हैं।
- जसबीर से जुड़े अन्य यूट्यूब चैनल्स, संपर्क और विदेश यात्राओं की बारीकी से जांच हो रही है।
- भारत सरकार पाकिस्तान उच्चायोग के इन कार्यक्रमों की डिप्लोमैटिक निगरानी बढ़ा सकती है।
निष्कर्ष:
जसबीर सिंह केस केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं है, बल्कि यह भारत में ISI-प्रेरित जासूसी नेटवर्क की परतों को उजागर करने वाला मामला है। इसमें सोशल मीडिया, कूटनीतिक आयोजनों और लोगों के लालच का खतरनाक मिश्रण दिखता है। सुरक्षा एजेंसियां अब सतर्क मोड में हैं।