बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी की मांग
जमाल सिद्दीकी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर दिल्ली स्थित इंडिया गेट का नाम बदलकर ‘भारत माता द्वार’ करने का अनुरोध किया है। उनका कहना है कि यह बदलाव भारतीय शहीदों और देशभक्तों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
जमाल सिद्दीकी के पत्र का मुख्य बिंदु
- भारत के गौरव को बढ़ाने का प्रयास:
- उन्होंने प्रधानमंत्री के नेतृत्व की सराहना करते हुए लिखा कि आपके कार्यकाल में राष्ट्रप्रेम और भारतीय संस्कृति के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना बढ़ी है।
- मुगल और ब्रिटिश काल की गुलामी के प्रतीकों को हटाने के लिए उठाए गए कदमों की प्रशंसा की।
- पहले किए गए बदलावों का उल्लेख:
- औरंगज़ेब रोड का नाम बदलकर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम रोड करना।
- इंडिया गेट पर किंग जॉर्ज पंचम की मूर्ति हटाकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति स्थापित करना।
- राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करना।
- इंडिया गेट का नाम बदलने की मांग:
- उनका कहना है कि इंडिया गेट का नाम बदलकर ‘भारत माता द्वार’ करने से इसे भारतीय संस्कृति और राष्ट्रप्रेम से जोड़ा जा सकेगा।
- उन्होंने यह भी लिखा कि यह हज़ारों शहीदों की याद में सच्ची श्रद्धांजलि होगी, जिनके नाम इस स्मारक पर अंकित हैं।
- भारतीय शहीदों का सम्मान:
- जमाल सिद्दीकी ने कहा कि इंडिया गेट, जो पहले अखिल भारतीय युद्ध स्मारक के नाम से जाना जाता था, को नया नाम देकर भारतीय शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सम्मान प्रदर्शित किया जा सकता है।
इंडिया गेट का ऐतिहासिक महत्व
- निर्माण और उद्देश्य:
- इंडिया गेट का निर्माण ब्रिटिश शासनकाल में प्रथम विश्व युद्ध और अफगान युद्ध में मारे गए भारतीय सैनिकों की याद में किया गया था।
- इसकी दीवारों पर करीब 13,000 भारतीय सैनिकों के नाम अंकित हैं।
- समकालीन भूमिका:
- हर साल गणतंत्र दिवस परेड के दौरान यह स्मारक केंद्र बिंदु होता है।
- इसे शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक प्रमुख स्थल के रूप में देखा जाता है।
राजनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण
- नाम बदलने की राजनीति:
- पिछले वर्षों में, केंद्र सरकार ने कई स्थानों और सड़कों के नाम बदलकर उन्हें भारतीय संस्कृति और स्वतंत्रता सेनानियों से जोड़ा है।
- नाम बदलने के फैसले को लेकर अलग-अलग राजनीतिक और सामाजिक विचारधाराएं हो सकती हैं।
- सांस्कृतिक महत्व:
- “भारत माता द्वार” नाम न केवल शहीदों का सम्मान करेगा, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक पहचान को भी सशक्त करेगा।
- यह नाम भारतीय जनता को गर्व और एकता का अनुभव कराएगा।
संभावित चुनौतियां और प्रतिक्रियाएं
- विरासत और पहचान:
- इंडिया गेट का नाम बदलने का प्रस्ताव इसकी ऐतिहासिक पहचान और विरासत के संरक्षण से जुड़ा एक संवेदनशील मुद्दा बन सकता है।
- राजनीतिक विवाद:
- नाम बदलने के इस प्रस्ताव पर विभिन्न राजनीतिक दलों और इतिहासकारों से भिन्न मत सामने आ सकते हैं।
- आम जनता की राय:
- इंडिया गेट दिल्ली और देशभर के लोगों के लिए एक पहचान बन चुका है। इसे बदलने पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया को ध्यान में रखना आवश्यक होगा।
जमाल सिद्दीकी द्वारा उठाई गई यह मांग भारतीय संस्कृति और शहीदों के सम्मान को बढ़ावा देने का प्रयास है। हालांकि, इस तरह के ऐतिहासिक स्मारकों के नाम बदलने के फैसले से पहले सामाजिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक प्रभावों पर व्यापक विचार-विमर्श की आवश्यकता होगी।