श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर, जो मुंबई के सबसे प्रमुख और प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है, ने सभी भक्तों के लिए एक ड्रेस कोड लागू करने की घोषणा की है। यह कदम मंदिर की पवित्रता और मर्यादा बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है।
नए ड्रेस कोड की विशेषताएं:
- शालीन और पारंपरिक पोशाक की अनिवार्यता:
- भक्तों को पारंपरिक भारतीय पोशाक या ऐसे कपड़े पहनने होंगे जो शरीर को पूरी तरह ढकें।
- अनुचित कपड़े, जैसे कट-ऑफ जींस, स्कर्ट, खुले या शॉर्ट कपड़े, पहनने वालों को प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।
- स्त्री और पुरुष दोनों पर लागू:
- यह नियम सभी आगंतुकों, यानी पुरुषों और महिलाओं पर समान रूप से लागू होगा।
- पारंपरिक कपड़े पहनने की परंपरा देश के अन्य प्रमुख मंदिरों, विशेष रूप से दक्षिण भारतीय मंदिरों, के समान है।
- वैकल्पिक व्यवस्था:
- अनुचित पोशाक में आने वाले भक्तों के लिए, कुछ मंदिरों की तरह, शॉल, स्कार्फ या धोती उपलब्ध कराई जा सकती है ताकि वे ड्रेस कोड का पालन कर सकें।
फैसले का उद्देश्य:
मंदिर प्रशासन का कहना है कि यह निर्णय मंदिर के पवित्र स्थान की गरिमा और सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए लिया गया है।
अन्य मंदिरों में नई व्यवस्थाएं:
श्री विट्ठल रुक्मिणी मंदिर, पंढरपुर:
महाराष्ट्र के प्रसिद्ध श्री विट्ठल रुक्मिणी भगवान मंदिर ने नवविवाहित जोड़ों के लिए एक विशेष सुविधा शुरू की है।
- अब नवविवाहित जोड़ों को सीधा प्रवेश देकर दर्शन करने की अनुमति होगी।
- यह नई पहल जोड़ों के लिए सुविधा और सम्मान सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई है।
ड्रेस कोड लागू करने का व्यापक प्रभाव:
- ड्रेस कोड लागू करने का निर्णय भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों के अनुरूप है।
- यह परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाने का प्रयास है, जहां श्रद्धालु मंदिर की पवित्रता का सम्मान करते हुए दर्शन कर सकें।
- अन्य प्रमुख मंदिरों, जैसे तिरुपति बालाजी, सबरीमाला, और दक्षिण भारतीय मंदिरों में पहले से ही ऐसे नियम लागू हैं।
सिद्धिविनायक मंदिर का ड्रेस कोड लागू करने का कदम धार्मिक स्थलों की गरिमा और पवित्रता को बनाए रखने के उद्देश्य से है। भक्तों के लिए यह एक अवसर है कि वे मंदिर में प्रवेश करते समय परंपराओं का सम्मान करें और शालीनता बनाए रखें। वहीं, पंढरपुर मंदिर की नई पहल नवविवाहित जोड़ों के लिए एक सकारात्मक संदेश देती है, जो दर्शन को अधिक सुविधाजनक और यादगार बनाएगी।