केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की पुस्तक ‘संघातील मानवीय व्यवस्थापन’ का विमोचन शुक्रवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर की उपस्थिति में हुआ। यह पुस्तक न केवल गडकरी के संघ से जुड़े अनुभवों को साझा करती है, बल्कि उनके नेतृत्व, नीति-निर्माण और मानवीय दृष्टिकोण को भी उजागर करती है।
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— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) May 30, 2025
नितिन गडकरी के प्रमुख विचार — विमोचन समारोह से:
“पैसा कमाना गुनाह नहीं, लेकिन राजनीति पैसा कमाने का धंधा नहीं”
गडकरी ने साफ कहा:
“मैं कार्यकर्ताओं से कहता हूं कि पैसा कमाइए, मेहनत से कमाइए, लेकिन राजनीति को व्यवसाय मत बनाइए।”
यह वक्तव्य वर्तमान राजनीति में सिद्धांत और मूल्य आधारित दृष्टिकोण को दर्शाता है।
“मैं ज्ञानी नहीं हूं, मेरिट का विद्यार्थी भी नहीं” — गडकरी का आत्मस्वीकृति भाव
गडकरी ने कहा:
“मैं डॉक्टर नहीं लगता, क्योंकि मैं इंजीनियरिंग में भी क्वालिफाई नहीं कर पाया था। 12वीं में सिर्फ 52% अंक थे।”
उन्होंने विनम्रता से अपने शैक्षणिक संघर्षों को साझा किया और बताया कि वे “पिक्चर सामने से और नाटक पीछे से देखने वाले” वर्ग से आते हैं, यानी साधारण पृष्ठभूमि से।
“साइकिल रिक्शा से ई-रिक्शा तक” — सबसे बड़ा मानवीय कार्य
गडकरी ने बताया कि:
“मुझे सबसे बड़ा गर्व इस बात का है कि मैंने साइकिल रिक्शा की जगह ई-रिक्शा लाने का प्रयास किया, क्योंकि यह मानव द्वारा मानव को खींचने की अमानवीय स्थिति थी।”
उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय का उद्धरण दिया कि “मानव द्वारा मानव को खींचना शोषण है” और कहा कि वह दिन जब यह बंद होगा, “देश का सुनहरा दिन” होगा।
“10 बार कानून तोड़ना पड़े तो तोड़ेंगे” — नीतियों में बदलाव के लिए प्रतिबद्धता
उन्होंने बताया कि:
“2014 में मंत्री बनने के बाद मैंने तय किया कि अगर ई-रिक्शा को वैध बनाने के लिए 10 बार कानून तोड़ना पड़े तो भी तोड़ेंगे।”
इस कथन से उनका साहसी और परिवर्तनकारी नेतृत्व झलकता है, जिसमें वे नवाचार और मानवता के हित में व्यवस्था को चुनौती देने से भी नहीं हिचकते।
📍नागपुर
मेरी किताब 'रा. स्व. संघ में मानव प्रबंधन' (संघातील मानवी व्यवस्थापन) का आज नागपुर में रा. स्व. संघ के अ. भा. प्रचार प्रमुख श्री @SunilAmbekarM जी और वरिष्ठ विचारक, संपादक श्री विवेक घळसासी जी की उपस्थिति में विमोचन हुआ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माध्यम से 1925 से… pic.twitter.com/nbMGeWTCdq
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) May 30, 2025
“No philosophy can be taught to empty stomach” — विवेकानंद का उल्लेख
गडकरी ने स्वामी विवेकानंद के विचार का हवाला देते हुए कहा कि:
“भूखे पेट को आदर्श की शिक्षा नहीं दी जा सकती।”
यह बयान गरीबी और विकास के बीच संतुलन की उनकी सोच को दर्शाता है।
पुस्तक ‘संघातील मानवीय व्यवस्थापन’ क्या है?
यह पुस्तक संघ के अनुभवों के आधार पर मानवीय नेतृत्व, संगठन निर्माण, अनुशासन और सामाजिक दृष्टिकोण पर केंद्रित है। इसमें नितिन गडकरी ने संघ के भीतर मानव संसाधन प्रबंधन और सेवा भावना को व्यावहारिक उदाहरणों के साथ प्रस्तुत किया है।
नितिन गडकरी का यह भाषण न सिर्फ उनकी ईमानदारी और सरलता को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि राजनीति में आदर्श, प्रगति और मानवीय संवेदनाएं एक साथ चल सकती हैं। उनके अनुभव और विचार आज के युवाओं, राजनेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणादायी हैं।