एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने कर्नाटक में एक बड़े ऑनलाइन सट्टा घोटाले का पर्दाफाश करते हुए कांग्रेस विधायक के. सी. वीरेन्द्र और उनके सहयोगियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025 को चित्रदुर्ग जिले के चालकरे इलाके में ईडी की टीमों ने कई ठिकानों पर छापेमारी की और दो लॉकरों से 40 किलो 24 कैरेट सोने के बार जब्त किए, जिनकी बाजार कीमत लगभग ₹50.33 करोड़ बताई जा रही है। यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत बेंगलुरु जोनल ऑफिस द्वारा की गई। ईडी की इस बड़ी जब्ती के साथ अब तक इस मामले में जब्त की गई कुल संपत्ति का मूल्य ₹150 करोड़ से अधिक हो गया है।
इससे पहले की छापेमारियों में भी ईडी ने 21 किलो सोना, नकद राशि, सोना-चांदी के जेवरात, लक्जरी गाड़ियाँ, और कई बैंक खातों को फ्रीज़ किया था। जांच एजेंसी ने बताया कि के. सी. वीरेन्द्र, उनके परिवार के सदस्य और करीबी सहयोगी कई अवैध ऑनलाइन सट्टा प्लेटफॉर्म्स चला रहे थे, जिनमें King567, Raja567, और अन्य वेबसाइटें शामिल हैं। इन प्लेटफॉर्म्स के जरिए देशभर में हजारों लोगों से ठगी कर मोटी रकम जुटाई गई।
ईडी की जांच में सामने आया कि यह रकम FonePaisa जैसे पेमेंट गेटवे के माध्यम से म्यूल अकाउंट्स में भेजी जाती थी। ये अकाउंट्स फर्जी पहचान या आम नागरिकों के नाम पर खोले गए थे, जिन्हें मामूली रकम देकर उनकी बैंक डिटेल्स ली जाती थी। देश के अलग-अलग हिस्सों से ऐसे सैकड़ों म्यूल अकाउंट्स बनाए गए, जिनका इस्तेमाल न केवल सट्टेबाजी बल्कि साइबर फ्रॉड और अन्य ऑनलाइन घोटालों में भी किया गया।
एजेंसी के अनुसार, इस पूरे ऑनलाइन सट्टा नेटवर्क का अनुमानित टर्नओवर ₹2,000 करोड़ से अधिक है, जो इसे देश के अब तक के सबसे बड़े ऑनलाइन सट्टा घोटालों में से एक बनाता है। इस अवैध कमाई का इस्तेमाल विदेश यात्राओं, लक्जरी होटलों में ठहरने, वीजा खर्च, डिजिटल मार्केटिंग, बल्क एसएमएस, वेबसाइट होस्टिंग और SEO सेवाओं के भुगतान में किया गया। इन सभी लेनदेन को छिपाने के लिए भी म्यूल अकाउंट्स के जरिए पेमेंट किया गया ताकि पैसों का ट्रैक न लगाया जा सके।
ईडी ने बताया कि के. सी. वीरेन्द्र को अगस्त 2025 में गिरफ्तार किया गया था और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। जांच एजेंसी का कहना है कि हाल की छापेमारियों का उद्देश्य इस पूरे सट्टा रैकेट के फाइनेंशियल ट्रेल और ऑपरेशनल नेटवर्क को समझना है। एजेंसी ने यह भी दावा किया कि उनके पास ऐसे ठोस सबूत मौजूद हैं, जो दिखाते हैं कि इन प्लेटफॉर्म्स से हुई अवैध कमाई को व्यवस्थित रूप से मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए वैध दिखाया गया और फिर लक्जरी जीवनशैली, विदेशी यात्राओं और महंगे सौदों पर खर्च किया गया।
ईडी सूत्रों के मुताबिक, इस मामले में और भी कई नेताओं और व्यापारियों की भूमिका की जांच की जा रही है। एजेंसी को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस ₹2,000 करोड़ के सट्टा घोटाले से जुड़ा पूरा नेटवर्क उजागर हो जाएगा, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग और ऑनलाइन अपराधों पर एक बड़ा शिकंजा कसने में मदद मिलेगी।
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