भारतीय चुनाव आयोग ने चुनावी पारदर्शिता, दक्षता और सूचना की सुगमता को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए इंडेक्स कार्ड और सांख्यिकीय रिपोर्टों की पूरी प्रक्रिया को डिजिटल और सुव्यवस्थित बना दिया है। पहले इन रिपोर्टों को मैनुअल तरीके से तैयार किया जाता था, जिससे डेटा की उपलब्धता में काफी देरी होती थी और रिपोर्टिंग में कई स्तरों पर बाधाएँ आती थीं। लेकिन अब चुनाव आयोग ने इस पारंपरिक प्रणाली को खत्म कर एक तेज, सटीक और आधुनिक डिजिटल व्यवस्था की शुरुआत की है। इस परिवर्तन का नेतृत्व मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, तथा चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी कर रहे हैं।
इस डिजिटल परिवर्तन के केंद्र में है इंडेक्स कार्ड, जो एक गैर-वैधानिक लेकिन अत्यंत उपयोगी सांख्यिकीय रिपोर्टिंग प्रारूप है। यह कार्ड चुनाव आयोग की एक स्वविकसित पहल है, जिसका उद्देश्य है चुनावों से जुड़े आंकड़ों को शोधकर्ताओं, पत्रकारों, नीति-निर्माताओं, शिक्षाविदों और आम नागरिकों के लिए सरल, संरचित और उपयोगी बनाना। इंडेक्स कार्ड के माध्यम से उम्मीदवारों के नाम, मतदाताओं की संख्या, कुल मतदान प्रतिशत, पार्टीवार प्रदर्शन, लिंग आधारित मतदान रुझान, क्षेत्रीय मतभेद और अन्य कई महत्वपूर्ण सूचनाएँ एक ही स्थान पर उपलब्ध कराई जाती हैं।
Election Commission also streamlining Index Card & Statistical Reports for faster sharing.
☑️This upgraded mechanism replaces traditional manual methods, which were often time-consuming & prone to delays. The new system ensures faster reporting. #ECIhttps://t.co/ndyPDcLLja pic.twitter.com/oP6qwfywg1
— Election Commission of India (@ECISVEEP) June 5, 2025
इसी इंडेक्स कार्ड के आधार पर लोकसभा चुनावों के लिए लगभग 35 प्रकार की रिपोर्टें और विधानसभा चुनावों के लिए 14 प्रकार की सांख्यिकीय रिपोर्टें तैयार की जाती हैं। ये रिपोर्टें न केवल चुनावी विश्लेषण और शोध को व्यापक आधार प्रदान करती हैं, बल्कि लोकतंत्र के बारे में जनचेतना और सूचित संवाद को भी सशक्त बनाती हैं। अब जब यह पूरी प्रणाली डिजिटल हो गई है, तो इन रिपोर्टों की उपलब्धता तेज़, रियल-टाइम और अधिक भरोसेमंद हो गई है, जिससे भारत का लोकतंत्र जानकारी आधारित और अधिक पारदर्शी बनता जा रहा है। यह बदलाव भारतीय चुनाव प्रणाली को तकनीकी रूप से उन्नत और वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है।