डॉ. कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन का निधन न केवल भारत बल्कि वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक अपूरणीय क्षति है। वह एक ऐसे वैज्ञानिक थे जिन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया और देश को एक वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्थापित करने में केंद्रीय भूमिका निभाई।
उनके जीवन और योगदान की प्रमुख झलकियाँ:
🔹 84 वर्ष की आयु में बेंगलुरु स्थित अपने आवास पर निधन
डॉ. कस्तूरीरंगन ने शुक्रवार सुबह 10 बजे अंतिम सांस ली। उनके सम्मान में रविवार को रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट में पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा।
PM Modi tweets, "I am deeply saddened by the passing of Dr. K. Kasturirangan, a towering figure in India’s scientific and educational journey. His visionary leadership and selfless contribution to the nation will always be remembered. He served ISRO with great diligence, steering… pic.twitter.com/qKyqJpN4Yx
— ANI (@ANI) April 25, 2025
ISRO में ऐतिहासिक नेतृत्व
- 10 वर्षों तक ISRO के अध्यक्ष रहे (1994–2003), जो अब तक का सबसे लंबा कार्यकाल रहा।
- उनके कार्यकाल में ISRO ने:
- PSLV (ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान) का सफल प्रक्षेपण किया।
- GSLV (जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) का पहला सफल परीक्षण किया।
- IRS-1C, IRS-1D जैसे उन्नत रिमोट सेंसिंग उपग्रह लॉन्च किए।
- INSAT-2 श्रृंखला और दूसरी-तीसरी पीढ़ी के संचार उपग्रह विकसित किए।
ISRO में इससे पहले की भूमिका
- ISRO सैटेलाइट सेंटर के निदेशक के रूप में कार्यरत रहते हुए:
- INSAT-2, IRS-1A, IRS-1B जैसे अहम उपग्रह मिशनों का नेतृत्व किया।
- भारत की स्वदेशी उपग्रह निर्माण क्षमताओं को मजबूती दी।
विज्ञान एवं नीति निर्माण में योगदान
- ISRO में सेवा देने के साथ-साथ, डॉ. कस्तूरीरंगन सरकारी नीतियों के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे।
- वह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के प्रमुख वास्तुकारों में से एक थे।
सम्मान और पुरस्कार
डॉ. कस्तूरीरंगन को उनके योगदानों के लिए भारत सरकार द्वारा कई सम्मान मिले, जिनमें शामिल हैं:
- पद्मश्री
- पद्म भूषण
- पद्म विभूषण
डॉ. कस्तूरीरंगन का जीवन प्रेरणा का स्रोत है — उन्होंने विज्ञान को देशसेवा का माध्यम बनाया। भारत उन्हें हमेशा “स्पेस मिशन विज़नरी” और नीति निर्माता के रूप में याद रखेगा।