वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष का इकोनॉमिक सर्वे संसद में पेश कर दिया है। इकोनॉमिक सर्वे देश की आर्थिक स्थिति का लेखा-जोखा कहा जाता है। सर्वे के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.3 फीसदी से 6.8 फीसदी के बीच रह सकती है। यह अनुमान बताता है कि आर्थिक गतिविधियां अगले साल भी धीमी रहेंगी। सर्वे में उम्मीद जताई गई है कि महंगाई कंट्रोल में रहेगी। जबकि खपत स्थिर रह सकती है। इकोनॉमिक सर्वे 2024-25 छह महीने के एक छोटे अंतराल के बाद आया है। पिछला इकोनॉमिक सर्वे आम चुनाव के बाद जुलाई 2024 में पेश हुआ था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 22 जुलाई 2024 को संसद में इसे रखा था।
As per the first advance estimates of national accounts, India’s real GDP is estimated to grow by 6.4 per cent in FY25. We expect that the growth in FY26 would be between 6.3 and 6.8 per cent, states the Economic Survey 2024-25.
Good Rabi production is likely to contain food… pic.twitter.com/jZUl6WQ2VC
— ANI (@ANI) January 31, 2025
विकसित भारत के लिए लगातार चाहिए 8% की ग्रोथ रेट
यह सर्वे रिपोर्ट वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार द्वारा तैयार की गई है। इसमें कहा गया कि आजादी के 100 साल पूरे होने तक भारत को विकसित देश बनाने के लिए अगले एक या दो दशकों तक औसतन लगभग 8% की स्टेबल जीडीपी ग्रोथ हासिल करने की आवश्यकता है। सर्वे में कहा गया, ‘इस ग्रोथ रेट के लक्ष्य पर कोई सवाल नहीं है, लेकिन यह देखना भी महत्वपूर्ण है कि ग्लोबल एनवायर्नमेंट (पॉलिटिकल और इकोनॉमिक) भारत के विकास परिणामों को प्रभावित करेगा।’
#WATCH | Delhi | Chief Economic Advisor, Dr. V. Anantha Nageswaran speaks about the Economic Survey 2024-25 pic.twitter.com/V3BjPPcASS
— ANI (@ANI) January 31, 2025
4 साल में सबसे धीमी ग्रोथ रेट
वीक मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर और धीमे कॉर्पोरेट इन्वेस्टमेंट के कारण भारत की ग्रोथ रेट वित्त वर्ष 2024-25 में 6.4% तक गिरने का अनुमान है, जो चार वर्षों में सबसे धीमी ग्रोथ है और वित्त वर्ष 2023-24 में दर्ज की गई ग्रोथ की तुलना में तेज गिरावट है। भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 8.2 प्रतिशत रही थी। भारतीय अर्थव्यवस्था ने 2022-23 में 7.2 प्रतिशत और 2021-22 में 8.7 प्रतिशत की दर से ग्रोथ की थी।
#WATCH | Delhi | Chief Economic Advisor, Dr. V. Anantha Nageswaran says, "…We call Agriculture the sector of the future, as there is enough scope to raise the contribution of agriculture by 0.75%–1% in terms of GDP growth…The area under micro irrigation has gone up by 3… pic.twitter.com/sSyAD3Armv
— ANI (@ANI) January 31, 2025
खाद्य महंगाई में नरमी आने की संभावना
सर्वे में महंगाई के बारे में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025-26 में कमोडिटी की ऊंची कीमतों को लेकर जोखिम सीमित जान पड़ता है। हालांकि, वैश्विक स्तर पर दबाव अब भी एक मुद्दा है। सब्जियों की कीमतों में मौसमी आधार पर कमी और खरीफ फसल की आवक के साथ वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में खाद्य महंगाई में नरमी आने की संभावना है। इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियों से निपटने के लिए रणनीतिक और विवेकपूर्ण नीतिगत प्रबंधन के साथ घरेलू बुनियाद को और मजबूत करने की जरूरत होगी। इसमें कहा गया है कि अधिक सार्वजनिक पूंजीगत व्यय और कारोबार को लेकर उम्मीद में सुधार से निवेश गतिविधियों में तेजी आने की उम्मीद है।