पीएम मोदी ने कैसे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को बनाया वैश्विक आंदोलन
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस आज अपने 11वें वर्ष में पहुंच चुका है। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद, उन्होंने योग को भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत बताते हुए संयुक्त राष्ट्र में इसका प्रस्ताव रखा। देखते ही देखते, 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित कर दिया गया और 2015 से इसे दुनियाभर में मनाया जाने लगा।
21 जून 2015 को दिल्ली के राजपथ (अब कर्तव्य पथ) पर हुए पहले योग दिवस समारोह में पीएम मोदी ने 84 देशों के प्रतिनिधियों के साथ 21 योगासन किए। यह आयोजन दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ इतिहास में दर्ज हुआ — सबसे बड़ी योग क्लास और सबसे अधिक देशों की भागीदारी।
2016 में, पीएम मोदी ने चंडीगढ़ के कैपिटल कॉम्प्लेक्स में 30,000 लोगों के साथ योग किया, जहां उन्होंने ब्रीदिंग और स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज को बढ़ावा दिया।
2017 का आयोजन लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर मैदान में हुआ, जहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित थे।
2018 में, देहरादून में 50,000 से अधिक लोगों के साथ योग करते हुए पीएम मोदी ने योग को पर्वतों की शांति से जोड़ा।
2019 में, दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने झारखंड के रांची स्थित प्रभात तारा मैदान में 40,000 लोगों के साथ योग किया।
2020 और 2021 में कोविड-19 महामारी के कारण पीएम मोदी ने वर्चुअल माध्यम से देश को संबोधित करते हुए योग की महत्ता समझाई।
2022 में, महामारी के बाद पहली बार मैसूर पैलेस में भव्य योग आयोजन हुआ, जिसमें 15,000 लोगों ने हिस्सा लिया।
2023 का आयोजन भारत के लिए बेहद खास रहा। पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 135 देशों के प्रतिनिधियों के साथ योग किया, और यह आयोजन भी गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ।
2024 में, श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर से पीएम मोदी ने रिकॉर्ड 24.53 करोड़ लोगों के साथ योग किया, जो अब तक का सबसे बड़ा योग सत्र बना।
और 2025 में, विशाखापट्टनम के रामकृष्ण बीच पर पीएम मोदी ने तीन लाख लोगों के साथ योग कर इस पहल को एक बार फिर नई ऊंचाई दी। योग को लेकर उनका संदेश स्पष्ट रहा — “यह केवल व्यायाम नहीं, बल्कि शांति, संतुलन और वैश्विक एकता का माध्यम है।”
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