भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन 2025 में पश्चिमी देशों पर तीखा प्रहार करते हुए उनकी दोहरी नीतियों को उजागर किया। उन्होंने लोकतंत्र को “पश्चिमी विशेषता” मानने की मानसिकता पर सवाल उठाया और पश्चिमी देशों पर आरोप लगाया कि वे अपने देशों में लोकतंत्र को महत्व देते हैं, लेकिन विदेशों में इसके विपरीत कार्य करते हैं।
जयशंकर के मुख्य बयान
📌 “जो कहते हो, वही करो!”
जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा कि पश्चिम को उन लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन करना चाहिए, जिनका वे प्रचार करते हैं।
📌 “भारत ने गरीबी के बावजूद लोकतंत्र को बनाए रखा!”
उन्होंने बताया कि भारत ने सभी चुनौतियों और सीमित संसाधनों के बावजूद लोकतांत्रिक मॉडल को अपनाया और सफलतापूर्वक चलाया।
📌 “पश्चिम ने गैर-लोकतांत्रिक ताकतों को बढ़ावा दिया!”
उन्होंने कहा कि एक समय था जब पश्चिमी देश लोकतंत्र को सिर्फ अपनी विशेषता मानते थे और बाकी दुनिया में अधिनायकवाद को समर्थन देते थे, जो आज भी जारी है।
📌 “हमारा लोकतंत्र भोजन की भी व्यवस्था करता है!”
अमेरिकी सीनेटर एलिसा स्लोटकिन ने कहा कि “लोकतंत्र खाने की व्यवस्था नहीं करता”, जिस पर जयशंकर ने जवाब दिया कि भारत हर महीने 80 करोड़ लोगों को पोषण सहायता देता है।
भारतीय लोकतंत्र की मजबूती
✅ 90 करोड़ से अधिक मतदाता
✅ एक ही दिन में वोटों की गिनती पूरी होती है
✅ 70 करोड़ से अधिक लोग मतदान करते हैं
जयशंकर ने अपने मतदान का प्रमाण दिखाते हुए कहा कि “यह निशान मेरे मतदान का सबूत है। भारत में लोकतंत्र सिर्फ एक आदर्श नहीं, बल्कि एक वास्तविकता है!”
वैश्विक दक्षिण और लोकतंत्र
जयशंकर ने कहा कि पश्चिमी देशों को यह समझना चाहिए कि लोकतंत्र केवल उनकी बपौती नहीं है। भारत जैसे देश गंभीर चुनौतियों के बावजूद सफल लोकतांत्रिक मॉडल पेश कर रहे हैं।
निष्कर्ष
विदेश मंत्री जयशंकर ने म्यूनिख सम्मेलन में भारत की लोकतांत्रिक ताकत को मजबूती से प्रस्तुत किया और पश्चिमी देशों की दोहरी नीतियों पर करारा जवाब दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत सिर्फ दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र नहीं, बल्कि एक ऐसा लोकतंत्र है जो अपने नागरिकों की जरूरतें पूरी करता है।