यह घटनाक्रम स्पष्ट रूप से दिखाता है कि भारत की सुरक्षा नीति में निर्णायक बदलाव आ चुका है, और अब वह राजनयिक दबावों या पारंपरिक संयम के बजाय राष्ट्रीय हित और सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहा है।
भारत का स्पष्ट रुख: “No More Strategic Restraint”
🔷 PM मोदी का अमेरिका को संदेश
- प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से मुलाक़ात में साफ कहा:
- भारत पाकिस्तान के किसी भी हमले का जवाब देगा।
- भारत को किसी प्रस्ताव या मध्यस्थता की आवश्यकता नहीं है।
- परमाणु की कोई चर्चा नहीं हुई, इसका अर्थ है कि भारत इस बार “न्यूनतम डर, अधिक प्रतिकार” की नीति पर चल रहा है।
🔷 भारत का दो टूक संदेश:
“सीज़फायर हो या वार्ता—अगर पाकिस्तान हरकत करेगा, तो जवाब ज़रूर मिलेगा।”
PM Modi conveyed US that India will respond to any action taken by Pakistan: Sources
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— ANI Digital (@ani_digital) May 11, 2025
ऑपरेशन सिंदूर अब भी चालू:
- 7 मई: ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत — 9 आतंकी ठिकानों पर हमला (PoK और पाकिस्तान में)
- 10 मई: पाकिस्तान ने फिर ड्रोन और मिसाइलों से उकसाया
- 12 मई: प्रस्तावित DGMOs बैठक से पहले चेतावनी — “सीज़फायर का उल्लंघन हुआ तो नतीजे भुगतने होंगे”
यानी भारत ने यह स्पष्ट कर दिया कि राजनयिक बातचीत और सैन्य प्रतिकार एक साथ चल सकते हैं, पर आतंकवादियों को कोई राहत नहीं मिलेगी।
घटनाक्रम की समयरेखा (Timeline of Tensions & Responses):
तारीख | घटना |
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2 मई 2025 | पहलगाम में आतंकी हमला |
7 मई 2025 | भारत का जवाब: ऑपरेशन सिंदूर शुरू, 9 आतंकी ठिकानों पर हमला |
8-9 मई 2025 | रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कार्रवाई को ‘रणनीतिक इच्छाशक्ति’ करार दिया |
10 मई 2025 | पाकिस्तान की ओर से ड्रोन व मिसाइलों के ज़रिए सीज़फायर उल्लंघन |
11 मई 2025 | PM मोदी और अमेरिकी VP जेडी वेंस की मुलाकात, भारत ने कड़ा रुख जताया |
12 मई 2025 | भारत-पाकिस्तान DGMOs की बैठक निर्धारित, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर अभी भी सक्रिय |
रणनीतिक संकेत:
- डिप्लोमेसी और डिटरेंस एक साथ: भारत अब अंतरराष्ट्रीय सहयोग को नजरअंदाज़ नहीं करता, लेकिन निर्भर भी नहीं करता।
- “नया भारत” की सुरक्षा नीति: केवल रक्षात्मक नहीं, बल्कि प्रो-एक्टिव और ऑफेंसिव डिफेंस की ओर बढ़ रही है।
निष्कर्ष:
भारत ने इस बार पाकिस्तान और दुनिया को यह स्पष्ट संदेश दिया है:
🔴 “आतंकवाद की ज़मीन कहीं भी हो—हम वहां पहुँच सकते हैं।”
🔴 “राजनयिक दरवाज़े खुले हैं, पर सुरक्षा से कोई समझौता नहीं।”