सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में 125 एकड़ औद्योगिक भूमि के आवंटन को रद्द करने के मामले में उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम (UPSIDC) के फैसले को सही ठहराया है। यह ज़मीन कमला नेहरू मेमोरियल ट्रस्ट (KNMT) को वर्ष 2003 में आवंटित की गई थी। कोर्ट के इस फैसले के कई कानूनी और राजनीतिक मायने हैं।
मामले की पृष्ठभूमि
- कमला नेहरू मेमोरियल ट्रस्ट (KNMT) की स्थापना स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहीं कमला नेहरू (पंडित जवाहरलाल नेहरू की पत्नी और राहुल गांधी की परदादी) की स्मृति में की गई थी।
- वर्ष 2003 में UPSIDC ने ट्रस्ट को 125 एकड़ औद्योगिक भूमि सुल्तानपुर जिले में आवंटित की थी।
- KNMT समय पर जमीन की कीमत का भुगतान करने में विफल रहा और बार-बार ब्याज माफी, पुनर्गठन और अन्य रियायतें मांगता रहा।
- UPSIDC ने बाद में यह भूमि जगदीशपुर पेपर मिल्स को आवंटित की, लेकिन KNMT की आपत्ति के बाद वह भी रद्द कर दी गई।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला (31 मई 2025)
- जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा:
- ट्रस्ट ने जानबूझकर भुगतान में चूक की और फिर अनुचित विशेषाधिकारों की मांग की।
- आवंटन के समय जनता को होने वाले लाभों का मूल्यांकन नहीं किया गया, जिससे सार्वजनिक हित की अनदेखी हुई।
- KNMT एक “पुराना डिफॉल्टर” है, जिसे डिफॉल्टर मानना न केवल जायज़ था बल्कि नीति के तहत आवश्यक भी था।
- ऐसे मामलों में रियायत देना “भूमि आवंटन प्रणाली की अखंडता” को नुकसान पहुंचाता है और एक गलत मिसाल स्थापित करता है।
इस फैसले के प्रभाव और संकेत
- यह निर्णय दर्शाता है कि राजनीतिक जुड़ाव वाले ट्रस्ट या संगठन भी यदि नियमों का पालन नहीं करते, तो उन्हें कानून के समक्ष जवाबदेह ठहराया जाएगा।
- सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि पब्लिक लैंड का दुरुपयोग या अनियमित आवंटन स्वीकार्य नहीं है, चाहे वह किसी भी प्रतिष्ठित नाम से जुड़ा क्यों न हो।
- इस फैसले से अन्य संस्थाओं या ट्रस्टों को भी सख्त चेतावनी मिलती है कि अगर वे शर्तों का उल्लंघन करते हैं, तो आवंटन रद्द किया जा सकता है।