बाराबंकी जिले के लोनी कटरा निवासी मोहम्मद रईस नामक युवक ने पास में ही रहने वाली एक महिला को प्रेमजाल में फंसाया। महिला के पति ने तीन साल पहले आत्महत्या कर ली थी। उसका एक बेटा भी है, जिसका नाम मानस है। मोहम्मद रईस नाम के व्यक्ति ने महिला से शादी करने के लिए अहिमामऊ आकर खुद को “मानस” बताया। उसने महिला को भरोसा दिलाया कि वह उससे शादी करेगा और उसे मंदिर भी ले गया।
जिसे लव जिहाद झूठा लगता है, वो इस खबर को पढ़ें!
लखनऊ के एक मंदिर में एक लड़का और लड़की शादी करने पहुंचते हैं।
लड़का अपना आधार कार्ड लेकर मंदिर पहुंचता है, आधार कार्ड पर लड़के का नाम मानस लिखा होता है।
लेकिन शादी कराने वाले पुजारी को लड़के पर शक होता है।
जब पुजारी अच्छे से… pic.twitter.com/5qehm9FP7h
— One India News (@oneindianewscom) April 15, 2025
माथे पर तिलक और हाथ में कलावा
मंदिर पहुंचकर जब रईस ने पुजारी से शादी कराने का अनुरोध किया, तो पुजारी ने उससे आधार कार्ड और पारिवारिक विवरण मांगा। युवक ने दस्तावेज दिखाने से इनकार कर दिया। उसके माथे पर तिलक और हाथ में कलावा देखकर पुजारी ने उससे कुल और गोत्र पूछा, लेकिन वह कोई जवाब नहीं दे सका। इससे पुजारी को शक हुआ और उसने आरएसएस कार्यकर्ताओं को सूचना दी।
एक संवेदनशील सामाजिक मुद्दा है, बल्कि यह धार्मिक पहचान, विश्वास, और आपसी भरोसे के स्तर पर भी कई सवाल खड़े करता है।
आपने जिस घटना का ज़िक्र किया — जिसमें मोहम्मद रईस नामक युवक ने मानस बनकर एक हिंदू लड़की से मंदिर में शादी करने की कोशिश की — वह बहुत सारे पक्षों में चर्चा का विषय बन सकता है। आइए इसे कुछ प्रमुख बिंदुओं में समझते हैं:
घटना का सार:
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स्थान: लखनऊ का एक मंदिर।
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घटना: एक युवक और युवती मंदिर में शादी करने पहुंचे।
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युवक की पहचान: उसने अपना नाम “मानस” बताया और आधार कार्ड में वही नाम दिखाया।
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शक की वजह: माथे पर तिलक, हाथ में कलावा — परंतु पुजारी को गोत्र और कुल की जानकारी नहीं दे पाया।
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सत्य: पुजारी की जांच में पता चला कि युवक का असली नाम मोहम्मद रईस है।
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कार्यवाही: पुजारी ने पुलिस को बुलाया, और अब युवक गिरफ्तार है।
कानूनी पक्ष:
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यदि युवक ने जाली पहचान के सहारे विवाह करने की कोशिश की है, तो उस पर धोखाधड़ी (IPC धारा 420), और जाली दस्तावेज़ प्रस्तुत करने (धारा 468, 471) जैसे आरोप लग सकते हैं।
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अगर यह धर्म छुपाकर संबंध बनाने या विवाह करने का मामला पाया गया, तो कई राज्यों में “लव जिहाद विरोधी कानून” के अंतर्गत मामला दर्ज किया जा सकता है (जैसे उत्तर प्रदेश में “गैरकानूनी धर्मांतरण प्रतिषेध अधिनियम, 2021”)।
सामाजिक पहलू:
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यह घटना उस बढ़ती आशंका को हवा देती है जिसमें धर्म छिपाकर रिश्ते बनाने की घटनाएं सामने आ रही हैं।
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धार्मिक पहचान और सांस्कृतिक परंपराओं के साथ खिलवाड़ न केवल भावनात्मक चोट पहुंचाता है, बल्कि समाज में अविश्वास भी पैदा करता है।