प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिल्ली में आयोजित 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने मराठी भाषा, संस्कृति और साहित्य के योगदान की सराहना की और कहा कि यह सम्मेलन सिर्फ एक भाषा या राज्य तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें भारत की स्वतंत्रता संग्राम की महक और सांस्कृतिक विरासत समाहित है।
पीएम मोदी के मुख्य बयान:
📌 मराठी भाषा की समृद्धि – पीएम मोदी ने कहा, “मराठी भाषा अमृत से भी अधिक मीठी है। मराठी संस्कृति के प्रति मेरा प्रेम सर्वविदित है।”
📌 इतिहास से जुड़ा आयोजन – यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 वर्ष पूरे हो रहे हैं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर रहा है।
📌 मराठी भाषा को मिला ‘अभिजात भाषा’ का दर्जा – उन्होंने कहा कि मराठी भाषा को हाल ही में ‘अभिजात भाषा’ (Classical Language) का दर्जा दिया गया है, जो इसकी प्राचीनता और समृद्ध साहित्यिक परंपरा को दर्शाता है।
📌 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका – पीएम मोदी ने RSS के योगदान की सराहना की, यह बताते हुए कि 100 साल पहले महाराष्ट्र में ही संघ की नींव रखी गई थी, जिसने भारत की संस्कृति और परंपरा को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई।
मराठी साहित्य सम्मेलन का महत्व:
🔹 1878 में पहली बार आयोजित हुआ था, यानी इसकी 147 साल की ऐतिहासिक यात्रा रही है।
🔹 यह मराठी साहित्य, भाषा और संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए एक प्रतिष्ठित मंच है।
🔹 सम्मेलन में मराठी साहित्य के विकास, आधुनिक समाज में इसकी भूमिका और भाषा संरक्षण जैसे मुद्दों पर चर्चा होती है।
Addressing the 98th Akhil Bharatiya Marathi Sahitya Sammelan in New Delhi. https://t.co/AgVAi7GVGj
— Narendra Modi (@narendramodi) February 21, 2025
राजनीतिक और सांस्कृतिक महत्व:
🔸 दिल्ली में सम्मेलन का आयोजन होना महाराष्ट्र और केंद्र के मजबूत संबंधों को दर्शाता है।
🔸 मराठी भाषा को ‘अभिजात भाषा’ का दर्जा देना केंद्र सरकार द्वारा महाराष्ट्र के प्रति सम्मान और जुड़ाव को दिखाता है।
🔸 पीएम मोदी का संघ और शिवाजी महाराज का उल्लेख करना महाराष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।