भारतीय नौसेना के लिए स्वदेशी Mine Counter Measure Vessels (MCMVs) की प्रस्तावित परियोजना।
भारतीय नौसेना को मिलेगा नया स्वदेशी हथियार:
“Mine Counter Measure Vessels” – समुद्री माइन्स के शत्रु
क्या है MCMV और क्यों है यह महत्वपूर्ण?
MCMV (Mine Counter Measure Vessel) विशेष प्रकार का नौसैनिक पोत होता है जो समुद्र में दुश्मन द्वारा छिपाई गई बारूदी सुरंगों (Sea Mines) का पता लगाने और उन्हें निष्क्रिय करने का कार्य करता है।
इसकी खासियत:
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लंबाई: लगभग 60 मीटर
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वजन: 1000 टन तक
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तकनीक:
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एडवांस सोनार सिस्टम
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नॉन-मैग्नेटिक मटेरियल (माइन्स को ट्रिगर न करने वाला)
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रोबोटिक ड्रोन व सिस्टम्स जो रिमोट से माइन्स को डिटेक्ट और डिस्ट्रॉय कर सकें
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यह दिखने में छोटे होते हैं, लेकिन युद्धकाल में समुद्री मार्गों की सुरक्षा में इनकी भूमिका निर्णायक होती है।
भारत के लिए क्यों जरूरी है MCMV?
वर्तमान स्थिति:
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भारत के पास इस समय एक भी सक्रिय माइनस्वीपर नहीं है।
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पूर्व में रहे माइनस्वीपर पोत (जैसे Pondicherry-class) सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
सुरक्षा खतरे:
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चीन दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में नौसेनिक विस्तार कर रहा है
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पाकिस्तान भी अपने पनडुब्बी और आधुनिक फ्रिगेट बेड़े का विस्तार कर रहा है
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भारतीय तटों, बंदरगाहों और समुद्री व्यापार मार्गों की सुरक्षा आज प्राथमिकता बन चुकी है
44,000 करोड़ की स्वदेशी परियोजना: आत्मनिर्भर भारत की ओर
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डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) से मिलने वाली संभावित मंजूरी
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12 MCMVs का निर्माण, पूरी तरह भारत में
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परियोजना लागत: ₹44,000 करोड़
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निर्माण में भारत की प्राइवेट और सार्वजनिक सेक्टर की शिपयार्ड कंपनियों की भागीदारी संभव
इतिहास और देरी:
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2005: परियोजना की शुरुआत
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2017-18: तकनीकी और लागत विवादों के चलते रद्द
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2025: पुनः प्रस्तावित
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पहली डिलीवरी: अनुमानों के अनुसार 7-8 साल बाद (2032 के आसपास)
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की समुद्री शक्ति का प्रदर्शन
हाल ही में अरब सागर में हुए ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने स्पष्ट किया कि वह समुद्री मोर्चे पर किसी भी खतरे से निपटने में सक्षम है।
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60 युद्धपोत निर्माणाधीन
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31 युद्धपोतों के निर्माण को मंजूरी
MCMVs इस समुद्री शक्ति में एक अहम कड़ी जोड़ेंगे।
निष्कर्ष:
“छोटे दिखने वाले MCMVs असल में समुद्री युद्ध में भारत की ‘पहली रक्षा पंक्ति’ होंगे।”
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यह परियोजना ‘आत्मनिर्भर भारत’ के रक्षा क्षेत्र के सपने को हकीकत में बदलने का माध्यम बन सकती है
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DAC की मंजूरी के बाद भारत के पास अपनी समुद्री सीमाओं की निगरानी और सुरक्षा का एक और मजबूत साधन होगा