प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (23 जनवरी 2025) को पराक्रम दिवस के अवसर पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस को श्रद्धांजलि दी। यह नेताजी की 128वीं जयंती है। इस अवसर पर वे संसद भवन के सेंट्रल हॉल में स्कूली बच्चों से भी मिले। उधर, नेताजी बोस की बेटी अनीता बोस फाफ ने पीएम मोदी से सुभाषचंद्र बोस की पार्थिव अवशेषों को जापान से भारत लाने की अपील की है।
अनीता बोस ने एक प्रेस रिलीज जारी करके कहा कि नेताजी की अस्थियाँ पिछले आठ दशकों से टोक्यो के रेंकोजी मंदिर में रखी हुई हैं। भारत की पिछली सरकारों के इरादे पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि दशकों तक देश की सरकारें नेताजी सुभाषचंद्र बोस के पार्थिव अवशेषों को वापस लाने के मामले पर झिझकती रहीं या फिर इनकार करती रहीं।
उन्होंने आगे कहा, “एक समय तो रेंकोजी मंदिर के पुजारी और जापान की सरकार उनके (नेताजी सुभाषचंद्र बोस) के अवशेषों को उनकी मातृभूमि वापस भेजने के लिए इच्छुक, तैयार और उत्सुक थे। हमें यह स्वीकार करना होगा कि उस दिन ताइवान के ताइपेई (तब जापान के कब्जे में था) में उड़ान भरते समय हुई विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई।”
नेताजी की बेटी अनीता बोस के अनुसार, सरकारों की यह झिझक शायद इस उम्मीद के कारण थी कि नेताजी की मौत 1945 में नहीं हुई थी। उन्होंने आगे लिखा, “नेताजी को अब और निर्वासित न रखें! उन्हें घर लौटने की अनुमति दें। कई हमवतन आज भी उन्हें याद करते हैं, उनका सम्मान करते हैं और उनसे प्यार करते हैं।”
Today, on Parakram Diwas, I pay homage to Netaji Subhas Chandra Bose. His contribution to India’s freedom movement is unparalleled. He epitomised courage and grit. His vision continues to motivate us as we work towards building the India he envisioned. pic.twitter.com/HrXmyrgHvH
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2025
तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कॉन्ग्रेस सरकार ने नेताजी को मरणोपरांत भारत रत्न देने का फैसला किया था, लेकिन दबाव की वजह से उन्हें यह फैसला वापस लेना पड़ा था। नेताजी को भारत रत्न नहीं देने के पीछे सरकार ने वजह बताई कि अगर ऐसा किया जाएगा तो इस बात की पुष्टि हो जाएगी कि नेताजी की वास्तव में मृत्यु हो गई है।
इससे पहले अनीता बोस ने अगस्त 2019 में पीएम मोदी से जापान के रेनकोजी मंदिर में रखी नेताजी की अस्थियों की डीएनए जाँच कराने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि इससे उनके पिता की मौत की सच्चाई सामने आ जाएगी। उन्होंने दावा किया था कि पिछली सरकारों में कुछ ‘खास लोग’ नहीं चाहते थे कि नेताजी की मृत्यु पर से रहस्य का पर्दा कभी उठे।
इसी तरह साल 2022 में अनीता बोस ने एक भारतीय चैनल को इंटरव्यू देते हुए कहा था कि उनके पिता और भारत में उनके पिता की विरासत के साथ काफी गलत किया गया। वो कहती हैं कि नेताजी एक धर्मनिष्ठ हिंदू थे और वो धर्म के नाम पर लोगों की हत्या नहीं कर सकते थे, जैसा कि देश के बँटवारे के बाद हुआ था। बता दें कि विभाजन के दौरान लाखों हिंदुओं की हत्याएँ हुई थीं।
नेताजी की बेटी के मुताबिक, उनके पिता विद्रोही स्वभाव के थे। इसके कारण महात्मा गाँधी उन्हें अपने बस में नहीं कर पा रहे थे। गाँधीजी ने पंडित नेहरू का पक्ष लिया था। उन्होंने कहा था कि कॉन्ग्रेस के एक धड़े ने नेताजी के साथ गलत किया, उनके साथियों की निंदा की गई। नेताजी के सहयोगियों को वो लाभ भी नहीं मिला, जो कि अंग्रेजों के लिए लड़ने वालों को मिला।