उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में 15 वर्षीय दलित किशोर के जबरन धर्म परिवर्तन का मामला न केवल कानूनी, बल्कि सामाजिक और नैतिक मुद्दों को भी उजागर करता है। यह घटना कमजोर और अनाथ व्यक्तियों के प्रति होने वाले शोषण और उन्हें मजबूरी में धर्म परिवर्तन कराने की गंभीरता को दिखाती है।
घटना का पूरा विवरण:
- पीड़ित किशोर की स्थिति:
- मूलरूप से आजमगढ़ के अतरौलिया का रहने वाला।
- किशोर के पिता ने दूसरी शादी की, जिसके बाद उनके पिता की हत्या हो गई।
- सौतेली माँ ने संपत्ति हड़प ली और किशोर को घर से निकाल दिया।
- घटना की शुरुआत:
- मुर्शिद, जो देवा में कबाड़ का काम करता था, ने किशोर को अपने साथ रखा।
- बाद में मुर्शिद और उसके पिता रियासत अली उसे बाराबंकी के अफीका रेस्टोरेंट में काम करने के लिए ले आए।
- धर्म परिवर्तन का विवरण:
- रेस्टोरेंट के मालिक ने किशोर के अनाथ होने का फायदा उठाया।
- जबरन उसका खतना करवाया गया और नाम बदलकर नूर मोहम्मद रख दिया।
- किशोर ने बताया कि यह सब उसकी मर्जी के खिलाफ हुआ।
- घटना का खुलासा:
- बजरंग दल के जिला संयोजक विनय सिंह राजपूत को इस घटना की जानकारी मिली।
- उन्होंने रेस्टोरेंट में जाकर किशोर से बातचीत की और धर्म परिवर्तन की पुष्टि होने पर पुलिस को सूचना दी।
- पुलिस कार्रवाई:
- मुर्शिद और रियासत अली को गिरफ्तार किया गया।
- रेस्टोरेंट का मालिक फरार है और उसकी तलाश जारी है।
- धर्मांतरण अधिनियम, एससी-एसटी एक्ट, और बाल श्रम अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।
कानूनी और सामाजिक पहलू:
- कानून का उल्लंघन:
- उत्तर प्रदेश में लागू विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 का स्पष्ट उल्लंघन है।
- दलित किशोर होने के कारण एससी-एसटी अधिनियम भी लागू होता है।
- बाल श्रम कराने के कारण बाल श्रम अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।
- सामाजिक मुद्दा:
- यह घटना समाज के कमजोर वर्गों के प्रति शोषण और भेदभाव की गंभीरता को उजागर करती है।
- किशोर की अनाथ स्थिति का लाभ उठाकर उसे मानसिक और शारीरिक शोषण का शिकार बनाया गया।
- सरकार और प्रशासन की भूमिका:
- इस घटना से यह स्पष्ट है कि कमजोर और अनाथ बच्चों की सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों के बावजूद उनकी स्थिति असुरक्षित बनी हुई है।
- श्रम विभाग द्वारा बाल श्रम की जाँच इस समस्या के अन्य पहलुओं को उजागर कर सकती है।
निष्कर्ष:
यह मामला समाज के संवेदनहीन पक्ष और कमजोर वर्गों के प्रति अन्याय का प्रतीक है। पुलिस और प्रशासन को इस घटना की गहराई से जाँच कर आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। इसके साथ ही, समाज को ऐसी घटनाओं के प्रति जागरूक होना होगा और बच्चों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।