आक्रामक कूटनीति (Assertive Diplomacy) का स्पष्ट संकेत है, जिसमें अब पाकिस्तान के झूठ और आतंकवाद समर्थन को वैश्विक मंचों पर उजागर करने में भारत कोई कसर नहीं छोड़ रहा। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश द्वारा दिया गया यह बयान, राजनीतिक, कूटनीतिक और सुरक्षा दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मुख्य बिंदु: यूएन में भारत ने पाकिस्तान की पोल कैसे खोली
1. आतंकवाद पर सीधा हमला
- राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने कहा कि पाकिस्तान चार दशकों से आतंकवाद को समर्थन दे रहा है।
- उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान आतंकवाद का वैश्विक केंद्र बन चुका है और भारत को निशाना बनाने वाले हजारों आतंकी हमले पाकिस्तान प्रायोजित रहे हैं।
- करीब 20,000 भारतीय नागरिकों की जान इन हमलों में जा चुकी है।
2. सिंधु जल संधि पर पाकिस्तान का झूठ उजागर
- पाकिस्तान की ओर से यूएन में सिंधु जल संधि पर दिए गए बयानों को “गलत सूचना” करार दिया गया।
- हरीश ने कहा कि:
- भारत ने यह संधि सद्भावना और मित्रता के तहत की थी (1960 में)।
- लेकिन पाकिस्तान ने तीन युद्ध और हजारों आतंकी हमले करके इस संधि की मूल भावना का उल्लंघन किया है।
- अब यह संधि तब तक निलंबित रहेगी, जब तक पाकिस्तान विश्वसनीय रूप से आतंकवाद का समर्थन बंद नहीं करता।
चार महत्वपूर्ण तथ्य जो भारत ने रखे:
- भारत की सद्भावना:
भारत ने 65 साल पहले यह संधि दोस्ती की भावना से की थी, लेकिन पाकिस्तान की तरफ से निरंतर सैन्य और आतंकी हमलों ने इसकी भावना को तोड़ा। - सुरक्षा और तकनीकी बदलाव:
आतंकवादी खतरे के अलावा, अब जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा जरूरतें, और सुरक्षा चिंताओं के चलते बांधों के संचालन और डिज़ाइन में बदलाव जरूरी है, लेकिन पाकिस्तान ने इसमें अड़चनें पैदा की हैं। - संशोधन पर बातचीत का इनकार:
भारत ने पिछले दो वर्षों में कई बार बातचीत की पेशकश की, लेकिन पाकिस्तान ने हर बार मना किया। - संधि स्थगन की घोषणा:
भारत ने अंतिम निर्णय लिया कि यह संधि तब तक निलंबित रहेगी जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के लिए समर्थन विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से समाप्त नहीं करता।
विश्लेषण: भारत की रणनीति क्या दर्शाती है?
- भारत अब रक्षात्मक नहीं, आक्रामक कूटनीति अपना रहा है।
- सिंधु जल संधि, जिसे दशकों तक “अछूता” माना गया था, अब रणनीतिक दबाव का हथियार बन रही है।
- भारत की यह नीति FATF, UNSC, G20, और अन्य मंचों पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने में कारगर हो सकती है।
अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में प्रभाव
क्षेत्र | संभावित प्रभाव |
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FATF | पाकिस्तान की ग्रे लिस्ट में वापसी की आशंका फिर से गहरा सकती है |
UN | भारत की विश्वसनीयता और आतंकवाद विरोधी छवि मजबूत होगी |
OIC | भारत मुस्लिम बहुल देशों से पाकिस्तान पर दबाव बनवा सकता है |
पानी का हथियार | भारत पहली बार पानी को भू-राजनीतिक रणनीति में सक्रिय रूप से इस्तेमाल कर रहा है |
निष्कर्ष
भारत ने यूएन में न केवल पाकिस्तान की आतंकवाद पर दोहरी नीति की पोल खोली, बल्कि सिंधु जल संधि को एक रणनीतिक दबाव उपकरण बनाकर स्पष्ट संकेत दिया कि अब आतंकवाद की कीमत चुकानी पड़ेगी।
यह भारत की विदेश नीति का एक बड़ा बदलाव है, जो कूटनीति को सैद्धांतिक नैतिकता से उठाकर राष्ट्रीय सुरक्षा के ठोस हितों तक पहुंचाता है।