भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर और निरंतर खतरा बना हुआ है, खासकर पंजाब और जम्मू-कश्मीर जैसे सीमावर्ती राज्यों में। इस ताजा घटना ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI सक्रिय रूप से भारत में स्लीपर सेल और आतंकवादियों के नेटवर्क को पुनर्जीवित करने की कोशिश में लगी हुई है।
घटना का सारांश (पंजाब, मई 2025):
🔹 स्थान: टिब्बा नंगल कूलर रोड, एसबीएस नगर, पंजाब
🔹 संघर्ष: पाकिस्तान से भेजे गए विस्फोटकों की खेप बरामद
🔹 ऑपरेशन:
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स्टेट स्पेशल ऑपरेशन सेल (SSOC), अमृतसर
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केंद्र सरकार की खुफिया एजेंसी के साथ संयुक्त अभियान
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सूचना आधारित अभियान, जंगल में तलाशी के दौरान भारी मात्रा में हथियार मिले
बरामद सामग्री:
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2 x RPG (रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड)
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2 x IED (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस)
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5 x P-86 हैंड ग्रेनेड
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1 x वायरलेस कम्युनिकेशन सेट
प्रारंभिक जांच के संकेत:
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पाकिस्तान की ISI पंजाब के विभिन्न जिलों में स्लीपर सेल सक्रिय कर रही है।
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पहलगाम जैसे हमलों की तर्ज पर पंजाब में आतंकी घटनाएं करवाने की योजना।
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आईएसआई का मकसद: भारत में विघटनकारी माहौल और डर फैलाना।
पंजाब पुलिस की प्रतिक्रिया:
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एफआईआर दर्ज – अमृतसर स्थित PS स्टेट स्पेशल ऑपरेशन सेल में
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DGP गौरव यादव ने सोशल मीडिया (X) पर जानकारी साझा की
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उन्होंने कहा:
“पंजाब पुलिस राज्य में आतंकी ढांचे को खत्म करने और राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।”
क्या यह घटना चिंताजनक है?
हां, क्योंकि:
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इसमें भारी विस्फोटक और सैन्य-ग्रेड हथियार शामिल हैं।
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RPG जैसे हथियार सामान्य आतंकी ऑपरेशनों में नहीं होते — यह संकेत है कि “हाई-वैल्यू टारगेट” (जैसे सुरक्षा बलों के काफिले या प्रतिष्ठान) को निशाना बनाने की योजना थी।
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स्लीपर सेल की मौजूदगी इस ओर इशारा करती है कि स्थानीय युवाओं या नेटवर्क को कट्टरपंथी बनाया जा रहा है।
भारत की राष्ट्रीय प्रतिक्रिया:
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हाल के दिनों में केंद्र सरकार ने मॉक ड्रिल (244 जिलों में), खुफिया समन्वय, और सख्त सुरक्षा उपायों की घोषणा की है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से भी आतंकियों को “कल्पना से भी कठोर सजा” देने का ऐलान हो चुका है।
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यह घटना उन तैयारियों की प्रासंगिकता को और मजबूत करती है।
निष्कर्ष:
पाकिस्तान अपनी विफल विदेश नीति और आतंकवाद के सहारे भारत में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन भारत की सुरक्षा एजेंसियों की सजगता और तीव्र प्रतिक्रिया ने इस साजिश को एक बार फिर नाकाम कर दिया।
अब जरूरी है कि स्थानीय लोग भी सतर्क रहें, संदिग्ध गतिविधियों की सूचना दें और इस लड़ाई में सुरक्षा बलों के सहयोगी बनें।