प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के धुले में अपनी रैली के बाद जैनाचार्य रत्नसुंदरसूरीश्वरजी महाराज साहेब से मुलाकात की और उनका आशीर्वाद लिया। इस मुलाकात की तस्वीरें प्रधानमंत्री ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर साझा की और इसके साथ एक संदेश भी लिखा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “धुले में जैनाचार्य रत्नसुंदरसूरीश्वरजी महाराज साहेब से मुलाकात हुई. समाज सेवा और आध्यात्म के प्रति उनका योगदान सराहनीय है. अद्भुत लेखन के लिए भी उनकी काफी तारीफ की जाती है।”
इस मुलाकात को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने जैनाचार्य के समाज सेवा और आध्यात्मिक योगदान को अत्यधिक सराहा। रत्नसुंदरसूरीश्वरजी महाराज साहेब के विचारों और लेखन को भी उन्होंने बहुत प्रेरणादायक बताया। जैनाचार्य का सामाजिक कार्य और धार्मिक योगदान उनके अनुयायियों और समाज के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, और पीएम मोदी ने इस पहलू को विशेष रूप से उजागर किया।
यह मुलाकात प्रधानमंत्री मोदी के समाज के विभिन्न वर्गों के साथ संवाद और सहयोग को मजबूत करने के प्रयासों का हिस्सा थी, और जैन समुदाय के प्रति उनकी सम्मान भावना को भी दर्शाता है।
https://twitter.com/narendramodi/status/1854828028804972687
जैनाचार्य रत्नसुंदरसूरीश्वरजी महाराज एक अत्यंत प्रतिष्ठित धार्मिक और आध्यात्मिक गुरु हैं, जिनकी शिक्षाएँ न केवल आध्यात्मिकता बल्कि सामाजिक मुद्दों पर भी गहरी पकड़ रखती हैं। उनका जन्म 5 जनवरी 1948 को हुआ था, और वे गुजराती भाषा के प्रसिद्ध लेखक भी हैं। उनके योगदान को देखते हुए, उन्हें 2017 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह पुरस्कार उन्हें अध्यात्म के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान के लिए दिया गया।
उनके साहित्यिक योगदान:
रत्नसुंदरसूरीश्वरजी महाराज ने 450 किताबें लिखी हैं, जिनमें से लगभग 300 किताबें गुजराती भाषा में हैं। उनका साहित्यिक कार्य न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं पर भी विचार करता है। उनके लेखन को व्यापक स्तर पर सराहा गया है और उनके नाम को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। यह उपलब्धि उनकी अद्वितीय लेखनी और बौद्धिक योगदान को प्रमाणित करती है।
उनकी सबसे प्रसिद्ध और चर्चित किताब ‘लखी राखो अरस नी तकती’ है, जो आध्यात्मिकता और जीवन के सच्चे उद्देश्य पर आधारित है। यह किताब हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, मराठी, फ्रेंच, जर्मन समेत कुल 20 भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी है, जो उनके विचारों की व्यापकता और लोकप्रियता को दर्शाता है।
समाज सेवा और आध्यात्मिक नेतृत्व:
जैनाचार्य रत्नसुंदरसूरीश्वरजी महाराज का जीवन समाज सेवा और आध्यात्मिक नेतृत्व का आदर्श है। उनका आस्था के प्रति समर्पण और समाज के हर वर्ग के लिए सकारात्मक योगदान उन्हें एक प्रभावशाली गुरु और लेखक के रूप में प्रस्तुत करता है। उनके व्याख्यान और शिक्षाएँ न केवल धार्मिक अनुयायियों के लिए, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणादायक रही हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की धुले में जैनाचार्य से मुलाकात और उनके कार्यों की सराहना इस बात का संकेत है कि जैनाचार्य के योगदान को न केवल धार्मिक समुदाय बल्कि पूरी राष्ट्रव्यापी स्तर पर सराहा जाता है।