महाराष्ट्र की सियासत में फिर साथ आ सकते हैं उद्धव और राज ठाकरे! जनता में उत्सुकता, राजनीतिक हलकों में हलचल
महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों एक नई संभावित सियासी हलचल चर्चा का विषय बनी हुई है—क्या उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक बार फिर साथ आ सकते हैं? इस अटकल को उस समय और बल मिला जब मुंबई के गिरगांव इलाके में पोस्टर लगाए गए, जिनमें बालासाहेब ठाकरे, उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की तस्वीरें एक साथ दिखाई दीं। इन पोस्टरों पर लिखा गया संदेश ध्यान खींचने वाला था: “महाराष्ट्र में परप्रांतीयों के मंसूबे पूरे होने से पहले एक हो जाइए, 8 करोड़ मराठी जनता एक साथ आने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रही है।” ये पोस्टर “आम्ही गिरगांवकर” नामक समूह द्वारा लगाए गए हैं और इन्हें शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के संभावित गठबंधन को सार्वजनिक समर्थन के रूप में देखा जा रहा है।
इस सियासी संकेत को और मज़बूती तब मिली जब शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को ‘मातोश्री’ में एक बैठक के दौरान राज ठाकरे के साथ संभावित गठबंधन के लिए सकारात्मक संकेत दिए। इसके बाद शिवसेना का मुखपत्र ‘सामना’ भी इस चर्चा में कूद पड़ा। सामना के पहले पन्ने पर उद्धव और राज ठाकरे की एक पुरानी लेकिन प्रतीकात्मक तस्वीर प्रकाशित की गई, जिसमें दोनों भाई साथ नजर आ रहे हैं। सामना में मराठी में छपे संदेश का हिंदी अनुवाद कुछ यूं था: “महाराष्ट्र के मन में जो है, वही होगा, चर्चा शुरू हो गई है… उत्सुकता बढ़ गई है।” यह संकेत इस बात की पुष्टि करता है कि ठाकरे परिवार के दोनों धड़ों के बीच विचार-विमर्श का दौर शुरू हो चुका है।
पिछले कुछ वर्षों में ठाकरे परिवार महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ खो चुका है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना दो फाड़ हो चुकी है और वह सत्ता से बाहर हैं। वहीं, राज ठाकरे की एमएनएस को लगातार चुनावी हार का सामना करना पड़ा है और उनकी राजनीतिक ताकत भी सीमित हो गई है। ऐसे में दोनों भाइयों का संभावित गठबंधन न केवल मराठी मतदाताओं को एकजुट करने का प्रयास होगा, बल्कि 2024 के लोकसभा और 2025 के विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र विपक्षी दलों के लिए एक नई चुनौती भी बन सकता है।
मुंबई और अन्य मराठी बहुल क्षेत्रों में लगते इन पोस्टरों, ‘सामना’ में प्रकाशित संकेतों और जनता की प्रतिक्रिया ने इस राजनीतिक संभावना को और अधिक वास्तविक और समीचीन बना दिया है। अगर वाकई उद्धव और राज ठाकरे का गठबंधन होता है, तो यह महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा पुनर्गठन साबित हो सकता है, खासकर उस पृष्ठभूमि में जहां भाजपा और एकनाथ शिंदे गुट सत्ता में हैं और विपक्ष में एकजुटता की कमी महसूस की जा रही है।