रघुवर दास, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में राज्यपाल, 14 महीने बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में फिर से शामिल हो गए। इस अवसर पर रांची में आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी सहित पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता भी उपस्थित थे। दास ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और झारखंड में पार्टी की वापसी का विश्वास जताया।
मुख्य बिंदु:
1. संगठन के प्रति गर्व और वापसी का जज्बा:
- रघुवर दास ने संगठन का हिस्सा बनने को गर्व की बात बताते हुए कहा कि “राज्यपाल होना गरिमा की बात है, लेकिन संगठन का सदस्य होना गर्व की बात है।”
- उन्होंने झारखंड को अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा बनाए गए राज्य की भूमि के रूप में याद किया और पार्टी में लौटने को “मां के आंचल तले आने” जैसा बताया।
2. आगे बढ़ने और लड़ने का संदेश:
- दास ने 2024 के चुनावी नतीजों को पीछे छोड़कर अब भविष्य की ओर बढ़ने और जनता के लिए संघर्ष करने की बात कही।
- उन्होंने कार्यकर्ताओं को “सड़कों पर लड़ने और जीतने” के लिए प्रेरित किया।
3. बीजेपी की विचारधारा पर जोर:
- रघुवर दास ने भाजपा की विचारधारा पर बात करते हुए कहा कि पार्टी का उद्देश्य सत्ता सुख भोगना नहीं, बल्कि “जनता की सेवा करना” है।
- उन्होंने 1984 के समय को याद किया, जब बीजेपी के पास केवल 2 सीटें थीं, और बताया कि पार्टी ने कैसे संघर्ष करते हुए आज 22 राज्यों में अपनी सरकार बनाई है।
4. गठबंधन सरकार को चेतावनी:
- दास ने झारखंड की मौजूदा गठबंधन सरकार से अपील की कि वह जनता से किए गए वादों को पूरा करे।
- उन्होंने कहा, “हम कुछ समय तक इंतजार करेंगे। अगर सरकार वादों को पूरा नहीं करती, तो भाजपा सड़क से लेकर सदन तक लड़ाई लड़ेगी।”
5. सत्ता को सेवा का माध्यम बताया:
- दास ने कहा कि भाजपा के लिए सत्ता “मेवा का साधन नहीं, बल्कि जनता की सेवा का साधन” है।
- उन्होंने केंद्र सरकार की सफलता और पीएम मोदी के नेतृत्व की तारीफ करते हुए बताया कि जनता ने एनडीए पर विश्वास करते हुए लगातार तीसरी बार सत्ता सौंपी है।
रघुवर दास की वापसी झारखंड में बीजेपी के लिए नई ऊर्जा लेकर आई है। उन्होंने अपने भाषण से कार्यकर्ताओं में जोश भरते हुए स्पष्ट किया कि पार्टी संघर्ष के लिए तैयार है। दास ने गठबंधन सरकार को चेतावनी देते हुए यह भी संकेत दिया कि बीजेपी जनता के हितों की रक्षा के लिए हर मोर्चे पर तैयार है। उनकी वापसी झारखंड में राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकती है।