राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने मुफ्त उपहार (फ्रीबीज) और सब्सिडी को लेकर व्यापक चर्चा की वकालत की और इस विषय पर एक राष्ट्रीय नीति बनाने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सरकारी निवेश का सही उपयोग सुनिश्चित करने के लिए एक सुव्यवस्थित ढांचा जरूरी है।
मुफ्त उपहार और तुष्टीकरण पर चिंता
- धनखड़ ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया में फ्रीबीज एक प्रमुख चुनावी प्रलोभन बन गए हैं, जिससे सरकारें बाद में वित्तीय दबाव महसूस करती हैं और अपनी योजनाओं पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर हो जाती हैं।
- उन्होंने कहा कि देश के विकास के लिए पूंजीगत व्यय (कैपिटल एक्सपेंडिचर) की उपलब्धता आवश्यक है, लेकिन बिना सोचे-समझे दी जाने वाली सब्सिडी लंबी अवधि में नुकसानदायक हो सकती है।
- उन्होंने इस मुद्दे पर विपक्ष के नेता और सदन के नेता के साथ विचार-विमर्श करने की बात कही, ताकि एक संतुलित नीति बनाई जा सके।
सांसदों और विधायकों के भत्तों में असमानता पर सवाल
सभापति धनखड़ ने सांसदों (MPs) और विधायकों (MLAs) के वेतन और भत्तों में भारी अंतर को लेकर भी चिंता जताई।
- उन्होंने कहा कि कई राज्यों में विधायकों को सांसदों की तुलना में अधिक भत्ते और वेतन दिए जाते हैं।
- पूर्व विधायकों और पूर्व सांसदों की पेंशन में भी 1 से 10 के अनुपात तक असमानता है, जो एक समान प्रणाली की कमी को दर्शाता है।
- उन्होंने कहा कि इस विषय पर कानून बनाने से राजनेताओं, सरकार और कार्यपालिका को नीति निर्माण में मदद मिलेगी।
एमपीलैड्स फंड में बढ़ोतरी की मांग
इससे पहले समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद प्रो. रामगोपाल यादव ने सांसदों के स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MPLADS) फंड में वृद्धि की मांग उठाई।
- वर्तमान में सांसदों को विकास कार्यों के लिए 5 करोड़ रुपये आवंटित किए जाते हैं, जिसे प्रो. यादव ने अपर्याप्त बताया।
- उन्होंने तर्क दिया कि मुद्रास्फीति और GST के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए यह राशि बढ़ाई जानी चाहिए।
- उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा के एक तिहाई सांसद एमपीलैड्स फंड के कारण चुनाव हार जाते हैं, क्योंकि कई राज्यों में विधायकों को इससे अधिक फंड मिलता है।
सब्सिडी ढांचे के पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता
सभापति धनखड़ ने कृषि और अन्य क्षेत्रों में दी जाने वाली सब्सिडी को पारदर्शी और प्रत्यक्ष करने की वकालत की।
- उन्होंने अमेरिका का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी प्रत्यक्ष और पारदर्शी होती है, जिससे किसान परिवारों की औसत आय सामान्य परिवारों से अधिक होती है।
- उन्होंने कहा कि भारत में भी बिना बिचौलिए के प्रत्यक्ष सब्सिडी (DBT) का मॉडल अपनाने की जरूरत है।
सभापति धनखड़ के बयान से स्पष्ट होता है कि सरकारी खर्च, मुफ्त उपहार और सब्सिडी को लेकर एक संतुलित नीति की जरूरत है। इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा से दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता और पारदर्शी शासन सुनिश्चित किया जा सकता है।