राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने मंगलवार (24 अक्तूबर, 2023) को विजयादशमी मौके पर महाराष्ट्र के नागपुर में अपना सम्बोधन दिया। इस सम्बोधन में उन्होंने ने दुनिया भर में बढ़ रही भारत की साख पर ख़ुशी जताई। अयोध्या में बन रहे राम मंदिर को उन्होंने भारत के लिए उन्नति का आधार बताया। भारतीयों से आपसी एकता बनाए रखने की अपील के साथ डॉ मोहन भागवत ने देश को विदेशी ताकतों के दम पर तोड़ने वाली ताकतों से भी सावधान रहने की अपील की।
डॉ मोहन भागवत ने अपने सम्बोधन की शुरुआत देशवासियों को विजयादशमी की शुभकामना देते हुए की। आगे उन्होंने न सिर्फ दुनिया भर में बल्कि अंतरिक्ष जगत में बढ़ती भारत की ताकत की चर्चा भी की। मोहन भगवत ने G-20 सम्मेलन की मेजबानी, एशियाई खेलों में शानदार प्रदर्शन और चंद्रयान की सफलता का खासतौर पर जिक्र किया। डॉ भगवत के मुताबिक इन अभूतपूर्व कार्यों से न सिर्फ देशवासियों को अपार ख़ुशी मिली है बल्कि सभी वर्गों का आत्मबल भी बढ़ा है।
अपने सम्बोधन के अगले क्रम में मोहन भागवत ने अयोध्या में बन रहे राम मंदिर का जिक्र किया। 22 जनवरी, 2024 को मंदिर के गर्भगृह में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के समय उन्होंने कहा कि उस मौके पर अयोध्या में लोगों की संख्या सीमित और मर्यादित होनी चाहिए। मोहन भागवत ने अयोध्या आने वाले लोगों से भक्तिभाव को मन में रखने के साथ आने में असमर्थ लोगों से अपने-अपने स्थानों पर भी छोटे-छोटे आयोजन करने की भी अपील की। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा देख पाना उन्होंने सौभाग्य बताते हुए इसे देश के आध्यात्मिक विकास का प्रतीक कहा।
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अपने इसी संबोधन में आगे डॉ भागवत ने छत्रपति शिवाजी महाराज के 350वें राज्याभिषेक दिवस, महावीर स्वामी के 2550 वें परिनिर्वाण दिवस, महर्षि दयानन्द सरस्वती की 200 वीं, छत्रपति साहू जी महराज की 150वीं व महारानी दुर्गावती की 500वीं जन्मजयंती को याद किया। उन्होंने इन सभी विभूतियों के जीवन दर्शन पर प्रकाश डालते हुए लोगों से इनके आदर्शों को अपनाने की अपील की।
डॉ मोहन भागवत ने अपने इसी सम्बोधन के अगले चरण में दुनिया के आगे मौजूद चुनौतियों का जिक्र किया। उन्होंने कट्टरपंथ, आतंकवाद, उन्माद और जलवायु परिवर्तन को वैश्विक समस्या बताया। इसी सम्बोधन में यूक्रेन और गाजापट्टी में चल रहे युद्धों को भी शामिल किया गया और उसके समाधान के मार्ग निकालने पर जोर दिया गया। भारतवासियों से उन्होंने सनातन मूल्यों पर कायम रहने और दुनिया को एक नई राह दिखाने की भी आशा जताई। डॉ भागवत के मुताबिक, चीन जैसे देशों से भारत की सीमाओं की रक्षा हमारी प्रमुखता में होना चाहिए।
सम्बोधन की समाप्ति से पहले डॉ मोहन भागवत ने सभी भारतीयों से स्वदेशी अपनाने और उसके ही प्रचार-प्रसार की अपील की। उन्होंने कृषि सहित अन्य क्षेत्रों में भारत को अधिक से अधिक आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत पर भी जोर दिया। आधुनिकता के नाम पर विदेशी चीजों को अपनाने की प्रथा को मोहन भागवत ने जड़ता के समान बताया जो कि लोगों को धीरे-धीरे पतन की तरफ ले जाता है। देश में उन्माद और विभाजन फैला कर अस्थिरता की साजिश रचने वालों से उन्होंने विशेष तौर पर सावधान रहने की अपील की। डॉ भागवत के अनुसार, ऐसे विभाजनकारी तत्व विदेशी ताकतों के इशारे पर काम करते हैं।
मणिपुर में घटी हिंसक घटनाओं पर भी डॉक्टर मोहन भागवत ने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि मणिपुर में हिंसा को सांप्रदायिक रंग देने की साजिश जिसने भी रची हो उसकी जाँच होनी चाहिए। मोहन भागवत के अनुसार मणिपुर में दोनों पक्ष शांति चाहते हैं लेकिन कुछ साजिशकर्ता इस मामले को परोक्ष तौर पर तूल दे रहे हैं। देश के कई हिस्सों में भड़की हिंसा के पीछे उन्होंने टूल किट्स का हाथ बताया और उनसे सावधान रहने की अपील की। सम्बोधन का समापन उन्होंने मंदिर से ले कर श्मशान तक हिन्दू समाज में समरसता की अपील के साथ किया।