केरल हाई कोर्ट ने एक मुस्लिम से हिन्दू बने एक शख्स को स्कूल रिकॉर्ड में अपना धर्म और नाम बदलवाने करवाने की अनुमति दे दी है। हाई कोर्ट ने इसे संवैधानिक अधिकार माना है। इससे पहले केरल सरकार के शिक्षा विभाग ने उस शख्स ने यह अर्जी खारिज कर दी थी।
हाई कोर्ट ने यह फैसला मुस्लिम से हिन्दू बने शख्स की याचिका पर सुनाया है। केरल हाई कोर्ट ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति आधिकारिक तौर पर अपना धर्म बदलता है तो उसे स्कूल रिकार्ड्स में भी अपने धर्म की जानकारी अपडेट करना का अधिकार है।
केरल हाई कोर्ट ने क्या कहा?
केरल हाई कोर्ट ने कहा, “यदि किसी व्यक्ति ने बिना किसी दबाव, धोखाधड़ी, अनुचित प्रभाव आदि के अपना धर्म परिवर्तित किया है, तो ऐसे काम को भारत के संविधान की प्रस्तावना के साथ-साथ अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षण प्राप्त होगा।”
उन्होंने आगे कहा, ” संवैधानिक योजना के तहत, प्रत्येक व्यक्ति को न केवल अपनी पसंद के धार्मिक विश्वास को मानने का मूल अधिकार है, बल्कि अपने विश्वास और विचारों को इस तरह से दिखाने का भी अधिकार है, जिससे दूसरों के धार्मिक अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन न होता हो।”
क्या था मामला?
यह याचिका एक ऐसे शख्स ने लगाई थी जो बचपन से मुस्लिम था लेकिन बाद में हिन्दू बन गया था। इस शख्स का नाम पहले मोहम्मद रियाजुद्दीन था और उसका पिता एक मुस्लिम था जबकि माँ हिन्दू थी। उसकी माँ ने उसे हिन्दू रीति-रिवाज से पाला था।
रियाजुद्दीन के स्कूल रिकॉर्ड में उसे मुस्लिम लिखा गया था। हालाँकि, बड़े होने पर रियाजुद्दीन ने हिन्दू धर्म में आस्था दिखाते हुए आधिकारिक तौर पर इस्लाम छोड़ दिया। उसने यह पूरी कार्यवाही सरकारी तौर की और इसकी सूचना गजट समेत बाकी जगह भी दी।
रियाजुद्दीन ने इसके बाद अपना नाम सुधीन कृष्णा कर लिया। उसने अपना नाम स्कूल रिकॉर्ड में भी बदलना चाहा। हालाँकि, केरल सरकार ने इसकी अनुमति देने से मना कर दिया और कहा कि उनके पास स्कूल के रिकॉर्ड में धर्म बदलने का कोई नियम नहीं है।
इसके खिलाफ रियाजुद्दीन उर्फ़ सुधीन कृष्णा ने केरल हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जहाँ से उन्हें राहत मिली।