कांग्रेस के वरिष्ठ आदिवासी नेता अरविंद नेताम द्वारा 5 जून 2025 को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यक्रम में शामिल होने की खबर भारतीय राजनीतिक हलकों में गंभीर चर्चा और अटकलों का विषय बन गई है। नेताम संघ के द्वितीय वर्ष प्रशिक्षण शिविर के समापन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में RSS प्रमुख मोहन भागवत के साथ मंच साझा करेंगे।
कार्यक्रम की मुख्य बातें
- तारीख: 5 जून 2025
- स्थान: संघ मुख्यालय, नागपुर
- अवसर: द्वितीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग का समापन समारोह
- विशिष्ट अतिथि: अरविंद नेताम
- मुख्य वक्ता: सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत
अरविंद नेताम का राजनीतिक सफर
- 4 बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं।
- इंदिरा गांधी और पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकारों में केंद्रीय मंत्री भी रहे।
- 1996 में पहली बार कांग्रेस छोड़ दी थी, लेकिन 2 साल बाद लौट आए।
- 2012 में राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी लाइन से अलग रुख अपनाने के चलते कांग्रेस से निष्कासित किए गए।
- 2018 में फिर से कांग्रेस में शामिल हुए, लेकिन 9 अगस्त 2023 को कांग्रेस को स्थायी रूप से अलविदा कह दिया।
- इसके बाद उन्होंने ‘हमर राज पार्टी’ नाम से एक आदिवासी-आधारित राजनीतिक दल बनाया।
- भाजपा, बसपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से भी जुड़े रहे।
राजनीतिक संकेत और महत्व
- RSS मंच पर उपस्थिति:
कांग्रेस से जुड़े रहे किसी नेता का संघ के मंच पर आना गंभीर वैचारिक बदलाव या रणनीतिक संकेत माने जा सकते हैं। - आदिवासी वोटबैंक पर नजर:
छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड जैसे राज्यों में आदिवासी समुदाय की निर्णायक भूमिका है। नेताम जैसे आदिवासी नेताओं के RSS से जुड़ाव से यह संकेत जाता है कि संघ आदिवासी समाज के बीच अपनी पहुंच बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रहा है। - पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की तरह एक और उदाहरण:
इससे पहले जून 2018 में प्रणब मुखर्जी भी संघ के कार्यक्रम में गए थे, जिसे राजनीतिक रूप से बहुत बड़ा संकेत माना गया था। अब नेताम का जाना उसी परिपाटी का विस्तार लगता है।
नेताम की विचारधारा और बयान
- नेताम ने कांग्रेस छोड़ते समय कहा था:
“हम पहले आदिवासी हैं, बाद में कांग्रेसी।”
“मैं अब किसी पार्टी में शामिल नहीं होऊंगा, समझौता नहीं करूंगा।” - इसका यह भी संकेत है कि वे स्वतंत्र वैचारिक स्थिति बनाए रखते हुए समाज की लड़ाई को प्राथमिकता दे रहे हैं।
अरविंद नेताम का RSS के मंच पर जाना सिर्फ एक व्यक्तिगत उपस्थिति नहीं है, यह एक बड़ा राजनीतिक और वैचारिक घटनाक्रम है। इससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि संघ अब आदिवासी समाज के बीच वैचारिक और सामाजिक विस्तार की दिशा में और भी सक्रिय हो रहा है, और नेताम जैसे अनुभवी नेताओं के जरिए एक नया नैरेटिव गढ़ने की कोशिश कर रहा है।