कुरान आजकल दुनिया भर में विवाद का विषय बनी है। इसकी वजह से ईसाई और इस्लामी देशों में तनाव बढ़ता जा रहा है। दो देशों, स्वीडन और डेनमार्क में वहां के नागरिक कट्टरपंथी इस्लामवादियों से इतने परेशान आ चुके हैं कि अपना गुस्सा उस कुरान पर उतार रहे हैं जो ‘मुस्लिमों को गैरमुस्लिमों को मारने का पैगाम देती है’। ऐसी एक दो नहीं, कई घटनाएं उन दो देशों में घट चुकी हैं। इन घटनाओं की वजह से कई इस्लामिक देशों में उबाल है। वहां स्वीडन और डेनमार्क के विरुद्ध प्रदर्शन चल रहे हैं।
लेकिन अब लेबनान का इस्लामी आतंकवादी संगठन हिजबुल्ला भी मैदान में उतर आया है। इसके मौलाना हसन नसरल्लाह ने मुस्लिमों को मार—काट पर उतर आने को उकसाया है। नसरल्लाह ने कहा है कि मुसलमान खुद इस बेइज्जती का बदला लें। उसने कहा कि अगर इस्लामी देशों की सरकारें हमारी कुरान की बेइज्जती करने की छूट देने वाले उन देशों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं करतीं तो खुद मुस्लिमों को उन देशों पर हमला बोलकर उन्हें सजा दे देनी चाहिए।
हसन नसरल्लाह ने यह उकसाने वाली बात उस मौके पर कही जब लेबनान की राजधानी बेरूत में मुहर्रम का मातम मनाने इकट्ठे हजारों मुसलमान जुटे थे। इसी मौके पर एक टेलीविजन शो में नसरल्लाह का कहना था कि स्वीडन तथा डेनमार्क समझ लें कि हमारा देश कुरान और और दूसरी पाक चीजों की बेइज्जती बर्दाश्त नहीं करता। कुरान की बेइज्जती पर हमें इस्लामिक सहयोग संगठन के कड़े रुख का इंतजार है। अगर कोई कड़ा कदम नहीं उठाया गया तो हम मान लेंगे कि यह गुट मजहब की हिफाजत करने के लायक नहीं रहा है।
आतंकी गुट के सरगना नसरल्लाह का आगे कहना था कि इस्लामी देशों तथा उनके विदेश मंत्रियों को स्वीडन तथा डेनमार्क में इस्लाम पर लगातार हो रहे हमलों के विरुद्ध कड़ा कदम उठाना होगा। इतना ही नहीं, उन्हें साफ संदेश देना होगा कि अगर इस्लाम पर अब फिर से हमला हुआ तो जवाब में कूटनीतिक रास्ते से आर्थिक बहिष्कार किया जाएगा।
आतंकवादी गुट हिजबुल्ला के सरगना ने साफ तौर पर मुस्लिमों को भड़काने वाली बात की है कि अगर इस्लामी मुल्क उन दोनों देशों के विरुद्ध कड़ा कदम नहीं उठाते हैं तो दुनिया के जांबाज तथा जवान मुस्लिम जिम्मेदारी से आगे आने और अपने मजहब को बचाने के लिए कुरान की बेइज्जती करने और उसे जलाने वालों को दंड देने के लिए तैयार रहें। अगर इस्लामी सरकारें इस्लाम पर हो रहे इस जुल्म को नहीं रोकेंगी तो दुनियाभर के मुस्लिमों की बदनामी होगी।
उल्लेखनीय है कि कई इस्लामी देशों, जैसे पाकिस्तान, कतर, तुर्किए, ईरान, इराक आदि अपना आक्रोश प्रकट कर चुके हैं। उन्होंने स्वीडन तथा डेनमार्क में कुरान जलाए जाने की घटनाओं को रोकने की कार्रवाई करने को कहा है। उधर स्वीडन तथा डेनमार्क ने कहा है कि उनके देश के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर बने कानूनों की वजह से वे इस विषय में कुछ कर नहीं पा रहे हैं।