सुप्रीम कोर्ट में ऑनलाइन और ऑफलाइन सट्टेबाजी ऐप्स पर बैन की याचिका पर सुनवाई
मामले की पृष्ठभूमि:
सुप्रीम कोर्ट में आज एक अहम जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई हुई जिसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन सट्टेबाजी ऐप्स को प्रतिबंधित करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता डॉ. केए. पॉल ने अदालत से अपील की कि ऐसे ऐप्स युवाओं को जुए की लत, आर्थिक बर्बादी और यहां तक कि आत्महत्याओं की ओर धकेल रहे हैं।
याचिकाकर्ता की मुख्य मांगें:
- ऑनलाइन और ऑफलाइन सट्टेबाजी पर एक समान केंद्रीय कानून बनाया जाए।
- Google, Apple और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म को ऐसे सभी ऐप्स हटाने का निर्देश दिया जाए।
- TRAI और MeitY को विदेशी सट्टेबाजी साइट्स और ऐप्स को ब्लॉक करने का आदेश दिया जाए।
- ED और RBI को सट्टेबाजी ऐप्स से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच का निर्देश।
- केंद्र सरकार को यह स्पष्ट करने के लिए कहा जाए कि सभी सट्टेबाजी ऐप्स “जुए” की श्रेणी में आते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी (जस्टिस सूर्यकांत की अहम बातें):
- “हम आपके साथ हैं, इसे रोका जाना चाहिए…”
अदालत ने याचिकाकर्ता की चिंता को जायज़ बताया। - “शायद आप इस गलतफहमी में हैं कि इसे सिर्फ कानून से रोका जा सकता है”
- अदालत ने कहा कि जैसे हम हत्या को कानून से पूरी तरह नहीं रोक सकते, वैसे ही सट्टेबाजी एक सामाजिक विचलन है, केवल कानूनी प्रावधान पर्याप्त नहीं।
- “इंटरनेट सबके पास है, माता-पिता एक टीवी देखते हैं, बच्चे दूसरा टीवी”
- यह एक सांस्कृतिक और सामाजिक चुनौती बन चुकी है, जिसे समाज, सरकार और परिवार – सभी को मिलकर हल करना होगा।
- “यह मसला सिर्फ कानूनी नहीं, सामाजिक नियंत्रण का भी है”
- कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल को याचिका की सॉफ्ट कॉपी देने का आदेश दिया।
अगले कदम:
- केंद्र सरकार से जवाब तलब किया गया है।
- यदि अदालत को उचित लगा तो भविष्य में सभी राज्यों को नोटिस जारी किए जा सकते हैं।
तेलंगाना में आत्महत्याओं का हवाला:
- याचिकाकर्ता ने बताया कि केवल तेलंगाना में 1023 लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें से कई के पीछे सट्टेबाजी ऐप्स का हाथ था।
- 25 से अधिक बॉलीवुड और टॉलीवुड सेलिब्रिटीज़ पर आरोप है कि वे इन ऐप्स का प्रचार कर रहे हैं।
विश्लेषण:
यह मामला भारत में डिजिटल जुए और सट्टेबाजी की बढ़ती समस्या की ओर न्यायपालिका के संज्ञान का स्पष्ट संकेत है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां यह दर्शाती हैं कि यह समस्या केवल कानूनी नहीं, बल्कि नीति, प्रवर्तन और सामाजिक जागरूकता से जुड़ी है।