“ऑपरेशन सिंदूर” पर CDS जनरल अनिल चौहान के इस बयान ने भारत की नई सैन्य नीति, रणनीतिक सोच और कार्रवाई की स्पष्ट झलक दुनिया को दिखाई है।
ऑपरेशन सिंदूर: क्या था यह ऑपरेशन?
- स्थान: पाकिस्तान के भीतर 300 किलोमीटर तक।
- उद्देश्य:
- एयरबेस और रणनीतिक सैन्य ठिकानों को निशाना बनाना।
- पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली को भेदना और उसकी अक्षमता उजागर करना।
- CDS का बयान:
“This is a lesson for our adversary.”
यह भारत की रणनीति में बदलाव का प्रमाण है — अब केवल reaction नहीं, pre-emption और punitive strike है।
भारत की मारक सीमा में कौन-कौन से पाकिस्तानी शहर आए?
अगर 300 किमी तक अंदर घुसकर हमला किया गया, तो ये शहर सीधे निशाने पर रहे:
शहर | सामरिक महत्व |
---|---|
लाहौर | बड़ा शहरी व सैन्य लॉजिस्टिक केंद्र |
सियालकोट | भारी सैन्य जमावड़ा, LOC के पास |
बहावलपुर | पाक आर्मी की स्ट्राइक कोर का अड्डा |
मुल्तान | एयरबेस और रणनीतिक गोला-बारूद डिपो |
झंग | पाकिस्तानी वायुसेना की सपोर्ट इकाइयां |
सरगोधा | मुख्य एयरबेस, चीन से सप्लाईड सिस्टम |
इनमें से कई शहरों में एयर डिफेंस और JF-17 जैसे लड़ाकू विमान तैनात थे, फिर भी भारत की कार्रवाई सफल रही — यानी surprise + precision।
1971 से आगे? रणनीतिक बदलाव
- 1971: पारंपरिक युद्ध, ज़मीन पर सीमित कार्रवाई, पूर्वी पाकिस्तान को अलग किया गया।
- 2025 (या वर्तमान ऑपरेशन सिंदूर):
- Western Pakistan के भीतर गहरे स्ट्राइक।
- Precision Air Power का इस्तेमाल।
- Political Will + Military Capability का संगम।
यह दिखाता है कि भारत अब न केवल टैक्टिकल रीएक्शन करता है, बल्कि डॉक्ट्रिनल डॉमिनेंस की नीति पर चल रहा है।
नई “रेड लाइन” — आतंकवाद की कीमत
CDS चौहान ने साफ कहा:
“भारत अब केवल आतंकवाद के बाद जवाब नहीं देगा, बल्कि हमले से पहले ही दुश्मन को संकेत देगा कि परिणाम क्या होंगे।”
- Proxy War (20 साल से):
पाकिस्तान की रणनीति — आतंकियों को भेजकर भारत में अस्थिरता। - अब भारत का जवाब:
आतंकवाद की हर हरकत की कीमत अब सीमा के भीतर वसूली जाएगी।
तकनीकी रणनीति: भारत ने कैसे मारा?
- पाकिस्तान की चीन-निर्मित एयर डिफेंस सिस्टम (HQ-16, LY-80) को भारत ने या तो:
- साइलेंस कर दिया,
- ब्लाइंड कर दिया, या
- बायपास कर लिया।
- संभवतः भारत ने stand-off weapons, loitering munitions, और stealth drones का प्रयोग किया।
रणनीतिक संदेश: चीन के लिए भी चेतावनी
CDS चौहान का बयान सिर्फ पाकिस्तान नहीं, चीन के लिए भी इशारा था:
भारत अब “defensive restraint” नहीं, “strategic dominance” की ओर बढ़ चुका है।
- Doklam और Galwan जैसी घटनाओं के बाद, भारत अब “first responder” नहीं, बल्कि “first initiator” की भूमिका में आने को तैयार है।
निष्कर्ष:
ऑपरेशन सिंदूर भारत के सामरिक इतिहास में एक नई शुरुआत है।
यह दिखाता है कि भारत सिर्फ आतंकी शिविरों को नहीं, बल्कि दुश्मन की military capability को degrade करने की क्षमता रखता है।
यह भारत की political will, technological edge और military readiness का प्रतीक है।