भारत नक्सलमुक्त बनने की दिशा में कितना करीब है?
मुख्य आँकड़े (2010 बनाम 2024)
पैमाना | 2010 | 2024 (अब तक) | गिरावट |
---|---|---|---|
नक्सली हिंसा की घटनाएँ | 1,936 | 374 | 81% |
नागरिकों की मौत | 720 | 131 | 82% |
नागरिक + सुरक्षा बलों की मौत | 1,005 | 150 | 85% |
नक्सल प्रभावित जिले | 126 (2013) | 18 (2025 अनुमान) | 86% |
आर्थिक संस्थानों पर हमले | 365 | 25 | 93% |
मारे गए नक्सली (2024 में) | – | 290+ | – |
मुख्य घटनाएं और प्रगति (2024)
- 27 नक्सली मारे गए नारायणपुर (छत्तीसगढ़) में, जिनमें महासचिव नंबाला केशव राव (उर्फ बासवराजू) भी शामिल थे।
- गृह मंत्री अमित शाह के अनुसार, तीन दशकों में पहली बार किसी महासचिव स्तर के माओवादी की मौत हुई।
- पीएम मोदी ने ऐलान किया: मार्च 2026 तक “नक्सलमुक्त भारत” का लक्ष्य।
क्या भारत मार्च 2026 से पहले नक्सलमुक्त हो सकता है?
हां, अगर…
- वर्तमान रफ्तार बनी रहती है, तो अगले 10 महीनों में शेष 18 जिलों में भी ऑपरेशन सफल हो सकते हैं।
- जन सहयोग और विकास कार्य (सड़क, स्कूल, रोजगार) तेज़ी से जारी रहें।
- खुफिया तंत्र और स्थानीय पुलिस की भूमिका और मजबूत की जाए।
- सुरक्षित आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति को ज़मीन पर प्रभावी ढंग से लागू किया जाए।
लेकिन कुछ चुनौतियाँ बाकी हैं:
- छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों के दूरदराज जंगलों में घुसपैठ बने रहना।
- सीमित क्षेत्र में सक्रिय लेकिन कट्टरपंथी गुटों का नेटवर्क अभी भी मौजूद है।
- नए रंगरूटों की भर्ती और स्थानीय असंतोष को भड़काने की कोशिशें अभी चल रही हैं।
निष्कर्ष:
भारत अगले 10–12 महीनों में “औपचारिक रूप से” नक्सलमुक्त घोषित हो सकता है, क्योंकि:
- हिंसा और घटनाओं में भारी गिरावट है।
- सुरक्षा बल लगातार आगे बढ़ रहे हैं।
- नक्सल विचारधारा की जमीनी पकड़ टूट रही है।
लेकिन “वास्तविक नक्सलमुक्ति” तब मानी जाएगी जब:
- सामाजिक और आर्थिक विकास पूरी तरह से पहुँच जाए।
- सुरक्षा तंत्र के भरोसे के साथ-साथ स्थानीय समुदाय का आत्मविश्वास भी लौट आए।