उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में अवैध निर्माण और कब्जों के खिलाफ प्रशासन ने सख़्त कार्रवाई शुरू कर दी है। सरकारी ज़मीनों पर वर्षों से मस्जिद, मदरसे, मैरिज हॉल और यहाँ तक कि निजी मकान बनाकर कब्ज़ा कर लिया गया था। शनिवार (13 सितंबर 2025) को तहसीलदार धीरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में राजस्व विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों की टीम ने राया बुजुर्ग और सलेमपुर सलार गाँव का दौरा किया। जाँच में पाया गया कि सरकारी ज़मीन, तालाब की भूमि और गड्ढों वाली ज़मीन पर बड़े पैमाने पर अवैध ढाँचे खड़े कर दिए गए हैं। इनमें मस्जिदें, मदरसे, बैक्वेट हॉल और निजी मकान शामिल हैं। अधिकारियों ने पैमाइश कर इन इमारतों को चिन्हित किया और उन पर लाल निशान लगाते हुए एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया कि 20 सितंबर तक इन अवैध कब्ज़ों को खुद हटा लिया जाए, अन्यथा प्रशासन बुलडोज़र चलाकर इन्हें ध्वस्त कर देगा।
सलेमपुर सलार उर्फ हाजीपुर गाँव में सड़क किनारे सरकारी ज़मीन पर बड़े पैमाने पर कब्ज़ा किया गया था। कोर्ट में पहले से ही धारा 67 के तहत मुकदमा चल रहा था और 2 सितंबर 2025 को अदालत ने साफ़ आदेश दिया था कि ज़मीन से कब्ज़ा हटाया जाए। इसके बावजूद अवैध ढाँचे जस के तस खड़े थे। यहाँ चारदीवारी से घिरे प्लॉट के भीतर ग्राउंड फ्लोर पर 4-5 कमरे, ऊपर पहली मंजिल पर बरामदा और कमरा बना हुआ मिला। बाहर से यह ढाँचा मदरसा या धार्मिक शिक्षा स्थल नहीं बल्कि व्यावसायिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल होता प्रतीत हुआ। टीम को वहाँ गंदगी और बदइंतज़ामी भी दिखी, जिससे साफ़ था कि असल उद्देश्य शिक्षा या धार्मिक गतिविधियाँ नहीं बल्कि निजी या व्यावसायिक उपयोग है।
राया बुजुर्ग गाँव की स्थिति भी चौंकाने वाली थी। यहाँ गड्ढों वाली सरकारी ज़मीन पर मस्जिद बनाई गई थी, जबकि तालाब की भूमि पर मदरसे के नाम पर कब्ज़ा कर लिया गया था। जाँच के दौरान अधिकारियों को तालाब की ज़मीन पर मदरसे के बजाय एक विशाल बैक्वेट हॉल मिला। इस इमारत को भी तुरंत खाली करने का नोटिस थमा दिया गया। मदरसे के मुतवल्ली ने तालाब की ज़मीन पर न सिर्फ धार्मिक ढाँचा खड़ा किया था बल्कि अपने निजी मकान का भी निर्माण कर लिया था।
प्रशासनिक टीम जैसे ही गाँव में पहुँची और पैमाइश शुरू हुई, ग्रामीणों में खलबली मच गई। कई लोग विरोध दर्ज कराने के लिए जमा हो गए, लेकिन भारी पुलिस बल की मौजूदगी में अधिकारियों ने बिना रुकावट काम पूरा किया। सरकारी ज़मीनों पर बनाए गए अवैध ढाँचों की पहचान कर उन्हें चिन्हित कर दिया गया। अधिकारियों ने साफ़ कर दिया कि सरकारी ज़मीन पर किसी भी तरह का कब्ज़ा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आने वाले दिनों में अगर नोटिस की समयसीमा के भीतर निर्माण खाली नहीं किया गया, तो प्रशासन बुलडोज़र चलाकर इन्हें ध्वस्त कर देगा।
संभल प्रशासन की इस सख़्त कार्रवाई को लेकर अब पूरे ज़िले में चर्चा है। यह कदम न सिर्फ सरकारी ज़मीन को अतिक्रमण से मुक्त कराने की दिशा में बड़ा प्रयास है, बल्कि यह भी संदेश देता है कि अवैध कब्ज़ाधारियों पर अब किसी तरह की रियायत नहीं बरती जाएगी।
हमारी यूट्यूब चैनल को लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करे
Like, Share and Subscribe our YouTube channel