🟢 मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में कैबिनेट द्वारा मंजूरी (13 मई 2025)
योजना की कुल लागत:
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₹47.11 करोड़ (₹47,11,69,000)
🟢 मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में कैबिनेट द्वारा मंजूरी (13 मई 2025)योजना की कुल लागत:प्रमुख उद्देश्य:प्रमुख प्रावधान और कार्य:1. 🧍♂️ हाथी मित्र दल का गठन:2. 🛡️ रैपिड रिस्पांस टीम:3. 🛰️ ई-आई सर्विलांस और निगरानी तंत्र:4. 🚧 फेंसिंग और अवरोधक संरचनाएं:5. 🚙 संसाधन और उपकरण:6. 🧑🌾 प्रशिक्षण और जागरूकता:पृष्ठभूमि और महत्व: -
अवधि: 2023-24 से 2026-27 (4 वर्ष)
प्रमुख उद्देश्य:
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जंगली हाथियों के संरक्षण और प्रबंधन।
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मानव-हाथी संघर्ष को रोकना और कम करना।
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हाथियों की आवाजाही और गतिविधियों की निगरानी और नियंत्रण।
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स्थानीय समुदायों को संरक्षण में भागीदार बनाना।
प्रमुख प्रावधान और कार्य:
1. 🧍♂️ हाथी मित्र दल का गठन:
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ग्रामीण समुदायों से जुड़े लोग हाथियों की गतिविधियों की जानकारी देंगे।
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समुदाय और वन विभाग के बीच मीडियाेटर की भूमिका निभाएंगे।
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हाथियों के संरक्षण के साथ मानवीय सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।
2. 🛡️ रैपिड रिस्पांस टीम:
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त्वरित हस्तक्षेप के लिए प्रशिक्षित टीमें बनाई जाएंगी।
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संघर्ष की स्थिति में ग्रामीणों को बचाना और हाथियों को सुरक्षित दिशा में ले जाना।
3. 🛰️ ई-आई सर्विलांस और निगरानी तंत्र:
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सीसीटीवी, ड्रोन, ट्रैकिंग डिवाइसेज, रेडियो कॉलर से हाथियों की निगरानी।
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नियंत्रण कक्ष (Control Room) स्थापित होंगे।
4. 🚧 फेंसिंग और अवरोधक संरचनाएं:
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सोलर फेंसिंग, खाई निर्माण और अन्य अवरोधक ढांचे तैयार होंगे।
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हाथियों को मानव बस्तियों से दूर रखने में सहायक।
5. 🚙 संसाधन और उपकरण:
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पेट्रोलिंग वाहन, संचार उपकरण, रेडियो कॉलर खरीदे जाएंगे।
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रेस्क्यू और पुनर्वास के लिए आवश्यक सुविधाएं विकसित होंगी।
6. 🧑🌾 प्रशिक्षण और जागरूकता:
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ग्रामीणों, वनकर्मियों, अन्य अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
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संरक्षण के प्रति स्थानीय सहभागिता और जागरूकता को बढ़ावा मिलेगा।
पृष्ठभूमि और महत्व:
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हाल के वर्षों में छत्तीसगढ़ और ओडिशा की सीमा से जंगली हाथियों का आगमन मध्य प्रदेश के वन क्षेत्रों में हुआ है।
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मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिससे जान-माल का नुकसान हो रहा है।
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यह योजना वन्यजीवों की सुरक्षा के साथ-साथ स्थानीय आबादी की सुरक्षा और आजीविका की रक्षा करने में मददगार होगी।
यह योजना केवल एक संरक्षण नीति नहीं है, बल्कि यह एक समावेशी और बहुआयामी रणनीति है, जो जंगल, वन्यजीव और ग्रामीण मानव समाज के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।