मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव उत्तर प्रदेश के दौरे से लौटकर आने के बाद से अधिकारियों के साथ एक के बाद एक मीटिंग कर रहे हैं। हाल ही में सीएम मोहन यादव ने प्रदेश में उद्योग बढ़ाने और क्षिप्रा नदी के पानी को लेकर नीति आयोग के अधिकारियों के साथ एक खास बैठक की। इससे पहले मंगलवार को मध्य प्रदेश राज्य नीति आयोग और भारत सरकार के प्रतिनिधियों ने एक साथ राज्य के ‘आर्थिक विकास एवं रोजगार सृजन’ के मुद्दे पर काफी चर्चा की।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर, भोपाल में योजना आर्थिक सांख्यिकी विभाग, अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में 'भारत के विनिर्माण विकास में प्रदेश की सहभागिता' विषय पर आधारित "नीति आयोग" की कार्यशाला में… pic.twitter.com/RUVYzjly4I
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) February 14, 2024
प्रस्तुत हुआ विकास का रोडमैप
इस परिचर्चा बैठक में प्रतिनिधियों द्वारा आर्थिक सामाजिक विकास के रोडमैप पर विचार प्रस्तुत किए गए। इस रोडमैप के अनुसार प्रदेश की आर्थिक वृद्धि के लिए समावेशी विकास की ओर अग्रसर होकर कई खास बिन्दुओं पर काम करने की जरूरत है, जिसके लिए सुझाव दिए गए हैं। रोडमैप में बताया गया है कि राज्य सरकार को कृषि क्षेत्र में खासतौर पर विकास की जरूरत है। प्रदेश को इस क्षेत्र में फसल विविधिकरण और ड्रोन आधारित कृषि जैसी नई टेक्नोलॉजी का प्रयोग करने का सुझाव दिया गया है। इसके साथ ही विनिर्माण क्षेत्र के विकास के लिए स्टार्ट-अप को बढ़ावा देना होगा।
ऐसे बढ़ेगा प्रदेश में रोजगार
इसके अलावा, इस परिचर्चा में सोशल सेक्टर में स्वास्थ्य और शिक्षा को विकास के नए आयामों का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके साथ ही, AI, रिसर्च और इनोवेशन के इस्तेमाल से अपडेटेड और गुणवत्तापूर्ण बनाने के सुझाव दिए गए। इस परिचर्चा में रोजगार सृजन को लेकर आर्थिक विकास के लिए उच्च शिक्षा और कौशल विकास को एकीकृत करने पर चर्चा हुई। इसमें परिचर्चा में बताया गया कि उच्च शिक्षा को नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण बनाने और रोजगार सृजन में आवश्यक मदद मिलेगी।
जनजातीय जिलों में बहुउद्देशीय केंद्र
प्रधानमंत्री जन-मन योजना के तहत प्रदेश के विशेष पिछड़ी जनजाति बहुल जिलों में 7 हजार 300 करोड़ रु से अधिक की लागत से आंगनवाड़ी केंद्रों, छात्रावासों, बहुउद्देश्यीय केंद्रों और आवासों के निर्माण का निर्णय लिया गया है. इस योजना के तहत प्रदेश के 23 जिलों की 4 हजार 597 बसाहटों में निवास करने वाले बैगा, सहरिया, भरिया जनजाति के 11 लाख से अधिक जनजातीय भाई बहनें लाभान्वित होंगे.
इसी तरह आहार अनुदान योजना में विशेष पिछड़ी जनजातियों की बहनों के खातों में 29 करोड़ रु से अधिक की धनराशि अंतरित की गयी है. मोदी सरकार ने 200 करोड़ रूपये की लागत से देशभर में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय स्थापित करवा रही है. जनजातियों के प्रमुख जननायक टंट्या मामा, भीमा नायक, खज्जा नायक, संग्राम सिंह, शंकर शाह, रघुनाथ शाह, रानी दुर्गावती, रानी कमलापति, बादल भोई, राजा भभूत सिंह, रघुनाथ मंडलोई भिलाला, राजा ढिल्लन शाह गोंड, राजा गंगाधर गोंड, सरदार विष्णु सिंह उईके जैसे जनजातीय नायकों को मध्यप्रदेश सरकार ने पूरा सम्मान दिया है.
प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी से संवरी जिंदगी
जनजातीय नायकों को समुचित सम्मान दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिरसा मुंडा के जन्मदिन 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर मनाने की पहल की. इसके साथ ही प्रदेश के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम गोंड रानी कमलापति के नाम पर कर जनजातीय समाज को गौरवान्तवित किया. प्रदेश में डबल इंजन सरकार के प्रयासों से वन क्षेत्रों में रहने वाले जनजातीय समाज के लोगों को वनाधिकार पट्टा मिला और पेसा एक्ट लाकर उनके जीवन में नया सवेरा लाने का काम हुआ है. जनजातीय क्षेत्रों में प्राथमिक पाठशालाओं, माध्यमिक पाठशालाओं, हाईस्कूल, हायर सेकेंडरी और कन्या शिक्षा परिसरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.
जनजातीय युवाओं को रोजगार से जोड़ा
जनजातीय युवाओं को स्व-रोजगार के नए अवसर उपलब्ध करवाने के लिये प्रदेश में बिरसा मुंडा स्व-रोजगार योजना, टंट्या मामा आर्थिक कल्याण योजना और मुख्यमंत्री अनुसूचित जनजाति विशेष परियोजना वित्त पोषण योजना लागू की गई है. विशेष पिछड़ी जनजातीय बैगा, भारिया, सहरिया, कोल समाज की बहनों को एक हजार रुपया प्रतिमाह आहार अनुदान दिया जा रहा है. डबल इंजन सरकार के प्रयासों से जनजाति कल्याण की कई योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर तक पहुंच रहा है. इससे सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक स्तर पर जनजातीयों का विकास हुआ है और वह तीव्र गति से समाज की मुख्यधारा में आकर राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभा रहे हैं.
जनजातीय वर्ग के कल्याण के लिए कार्य
मध्य प्रदेश की बैगा, भारिया और सहरिया जनजातियों के उत्थान के लिए प्रदेश सरकार ने खाका तैयार किया है. मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव के निर्देश पर मध्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश में पीएम जनमन के तहत होने वाले विभिन्न विकास कार्यों एवं कल्याण गतिविधियों का रोडमैप तैयार कर लिया है. इसके तहत प्रदेश में विशेष पिछड़ी जनजातीय क्षेत्रों का कायाकल्प करने की तैयारी है. रोडमैप के अनुसार 100 जनसंख्या वाले गांव या बसाहटों को भी पक्की सड़क से जोड़ा जाएगा. 981 संपर्क विहिन बसाहटों में 2403 किलोमीटर लंबाई की 978 सड़कें बनाई जाएंगी. इन सड़कों पर 50 पुल बनाने की तैयारी की गई है. रोडमैप के अनुसार इस पर तीन साल में 2354 करोड़ रुपए खर्च होंगे.
जनजातीय वर्ग की भूमिका महत्वपूर्ण
देश की कुल जनसंख्या में जनजातीय जनसंख्या का प्रतिशत 8.63 है और मध्यप्रदेश में जनजातीय समुदाय की संख्या तकरीबन 1 करोड़ 53 लाख है, जो कुल आबादी का 21 प्रतिशत से अधिक है. प्रदेश के 20 जिलों के 89 विकासखंड जनजातीय समुदाय बहुल हैं. राज्य विधानसभा की 47 सीटें और लोकसभा की 6 सीटें अनुसूचित जनजातीय समुदाय के लिए आरक्षित हैं. 35 सीटें ऐसी हैं जिनमें जनजातीय मतदाताओं की भूमिका निर्णायक है.