राजस्थान में लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा का कुनबा लगातार मजबूत हो रहा है. शुक्रवार को अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में विदेश मंत्री जसवंत सिंह के पुत्र मानवेंद्र सिंह जसोल की भाजपा में घरवापसी हुई. जसोल की घरवापसी से भाजपा से पश्चिमी राजस्थान में मजबूत होगी. अब देखने वाली बात यह होगी कि निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी की चुनाौती वाली बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर जसोल की घरवापसी का भाजपा को कितना फायदा होता है.
दरअसल भाजपा के क़द्दावर नेता जसवंत सिंह के पुत्र मानवेंद्र सिंह की आखिरकार 5 साल बाद भाजपा में वापसी हो गई है. 2018 में उन्होंने भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया था. इसके बाद कांग्रेस के टिकट पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
महंत निर्मल दास सहित कई नेता भाजपा में हुए शामिल
मानवेंद्र सिंह जसोल के साथ भाजपा में शामिल वाले नेताओं में महंत निर्मलदास, तरूणराय कागा, बलराम प्रजापत, रामसिंह बोथिया सहित अन्य स्थानीय कार्यकर्ता भी शामिल हैं. ये सभी नेता पश्चिमी राजस्थान से ताल्लुक रखते हैं. ऐसे में इन नेताओं का साथ मिलने से भाजपा को मजबूती मिलेगी.
घरवापसी नहीं अपने मूल निवास पर लौट आया हूंः जसोल
भाजपा में वापस आने पर मानवेंद्र सिंह जसोल ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि यह मेरी घरवापसी नहीं है. मैं अपने मूल निवास पर लौट आया हूं. पूर्व सांसद कर्नल मानवेंद्र सिंह को भाजपा प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह और राज्यसभा सांसद मदन राठौड़ ने भाजपा का दुपट्टा पहना कर पार्टी में स्वागत किया.
जसोल की भाजपा में घरवापसी अहम क्यों
मानवेंद्र सिंह की भाजपा में वापसी कई लिहाज़ से बेहद अहम मानी जा रही है. ख़ासतौर पर मानवेंद्र सिंह ऐसे समय में भाजपा में वापसी कर रहे हैं जब पश्चिमी राजस्थान में भाजपा को जातीय समीकरणों के साधने के लिए एक राजपूत नेता के तौर पर उनकी ज़रूरत है.
लेकिन सवाल यही है कि क्या मानवेंद्र सिंह बाड़मेर जैसलमेर लोक सभा सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार उम्मेदाराम बेनीवाल और निर्दलीय रवीन्द्र सिंह भाटी के साथ त्रिकोणीय मुक़ाबले में फँसे भाजपा उम्मीदवार कैलाश चौधरी को जीत की दहलीज़ तक पहुँचा सकेंगे. अब देखना होगा कि बाड़मेर लोकसभा सीट पर जसोल की घरवापसी से भाजपा को कितना फायदा होता है.