डूम्सडे फिश यानी ओअरफिश (Oarfish) का समुद्र किनारे बार-बार दिखाई देना हाल के महीनों में चर्चा और चिंता का विषय बन गया है। खासकर मई 2025 से अब तक चार बार ओअरफिश की उपस्थिति दर्ज की गई है — तमिलनाडु, तस्मानिया और न्यूजीलैंड में — जिससे सोशल मीडिया पर यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह किसी प्राकृतिक आपदा, विशेषकर भूकंप का संकेत है। आइए इस पूरे घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं:
ओअरफिश क्या है?
- ओअरफिश (Oarfish) एक रहस्यमयी गहरे समुद्र में रहने वाली मछली है।
- यह मछली सामान्यतः 200 से 1,000 मीटर की गहराई में पाई जाती है।
- इसकी लंबाई 30 फीट (9 मीटर) तक हो सकती है, जिससे यह दुनिया की सबसे लंबी बोनी (हड्डी वाली) मछली मानी जाती है।
- इसका शरीर रिबन जैसी आकृति वाला होता है और यह प्लवक, जेलीफिश और छोटे समुद्री जीव खाती है।
- यह मनुष्यों के लिए कोई खतरा नहीं होती।
कहां-कहां देखी गई ओअरफिश?
- तमिलनाडु (भारत) – मई 2025 के अंत में मछुआरों ने लगभग 30 फीट लंबी ओअरफिश को पकड़ा। इतनी बड़ी मछली को पकड़ने के लिए 7 लोगों को साथ आना पड़ा।
- तस्मानिया (ऑस्ट्रेलिया) – 2 जून को पश्चिमी तट पर 3 मीटर लंबी ओअरफिश स्थानीय महिला को दिखी।
- न्यूजीलैंड – जून की शुरुआत में डुनेडिन और क्राइस्टचर्च के पास दो मृत ओअरफिश तट पर बहकर आईं, जिनमें से एक का सिर कटा हुआ था।
क्या ओअरफिश के दिखाई देने से आपदा आती है?
यह धारणा जापान और कुछ प्रशांत देशों में प्रचलित है कि ओअरफिश जब समुद्र की सतह पर आती है या किनारे मरी हुई पाई जाती है, तो वह भूकंप या सुनामी जैसी आपदाओं का पूर्व संकेत हो सकती है।
- यह विश्वास 2011 की जापान सुनामी के बाद और मजबूत हुआ, जब उससे पहले तटों पर कई ओअरफिश देखी गई थीं।
- हालांकि, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो:
- ओअरफिश की उपस्थिति और किसी आपदा के बीच कोई प्रत्यक्ष और वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित संबंध नहीं है।
- विशेषज्ञ मानते हैं कि गहरे समुद्र में प्राकृतिक या मानवीय कारणों (जैसे समुद्र का तापमान बदलना, मरीन शिप नॉइज़, प्रदूषण या बीमारियां) से यह मछली ऊपर आ सकती है या मरकर तट तक बह सकती है।
वैज्ञानिक क्या कहते हैं?
- नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) जैसे संगठनों ने स्पष्ट किया है कि अब तक ऐसा कोई मजबूत डेटा नहीं मिला है जिससे यह साबित हो कि ओअरफिश की उपस्थिति से भूकंप की भविष्यवाणी की जा सके।
- समुद्री जीवविज्ञानी मानते हैं कि ओअरफिश का तट पर आना असामान्य तो है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि इसका संबंध किसी आपदा से हो।
सोशल मीडिया और भय का माहौल
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही ओअरफिश की तस्वीरों ने लोगों के बीच चिंता बढ़ा दी है। कई लोग इन्हें ‘डूम्सडे फिश’ (प्रलय की मछली) कहकर संबोधित कर रहे हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का सुझाव है कि ऐसी घटनाओं को अंधविश्वास की बजाय वैज्ञानिक विवेक से देखने की जरूरत है।
ओअरफिश कोई खतरा नहीं है और न ही यह भविष्य की आपदा की पक्की सूचना देती है। इसके तट पर आने के पीछे कई प्राकृतिक कारण हो सकते हैं, लेकिन इस घटना को आपदा के संकेत के रूप में देखना वैज्ञानिक रूप से गलत है।
इसलिए, घबराने की जगह हमें समुद्र और इसके रहस्यमयी जीवन को समझने की दिशा में शोध और जागरूकता बढ़ानी चाहिए।
अगर आप चाहें तो मैं इसके बारे में एक इन्फोग्राफिक या स्लाइड प्रेजेंटेशन भी बना सकता हूँ जो ओअरफिश और इन घटनाओं को सरल भाषा में समझाए।
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